नई दिल्ली। ईडी को 1,626 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंडीगढ़ स्थित पैराबोलिक ड्रग्स फार्मा लिमिटेड के खिलाफ जांच में इसके निदेशकों प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता के कुछ करीबी सहयोगियों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी को मामले में कुछ नए सुराग मिले हैं। मामले में कथित संलिप्तता के लिए तीन अकाउंटेंट के नाम सामने आए हैं। मामले में कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट भी वित्तीय जांच एजेंसी की जांच के घेरे में हैं।
रियल एस्टेट और शराब कारोबार से जुड़े कुछ लोग भी एजेंसी की जांच के दायरे में हैं और टीम जल्द ही पैराबोलिक ड्रग्स के साथ उनके जुड़ाव की पुष्टि करेगी। सूत्रों ने कहा कि आने वाले दिनों में एजेंसी कुछ गिरफ्तारियां कर सकती है। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
इस बीच, अशोका यूनिवर्सिटी ने शनिवार को उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया कि उसके परिसर या कार्यालयों में अभी भी ईडी की कोई तलाशी चल रही है। शुक्रवार को ईडी ने मामले के सिलसिले में दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला, पंचकुला, मुंबई में 15 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी।
ईडी का मामला चंडीगढ़ स्थित पैराबोलिक ड्रग्स के खिलाफ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से 1626.74 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में सीबीआई की एफआईआर पर आधारित है।
जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया उनमें अशोका विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक प्रणव और विनीत गुप्ता भी शामिल थे। प्रणव गुप्ता पैराबोलिक ड्रग्स के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं जबकि विनीत फर्म के निदेशकों में से एक हैं।
सीबीआई ने जिन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, उनमें निदेशक दीपाली गुप्ता, रमा गुप्ता, जगजीत सिंह चहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला, इशरत गिल और फर्म के गारंटर टीएन गोयल और निर्मल बंसल और जेडी गुप्ता शामिल हैं। सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, यह फर्म दवाओं के निर्माण में लगी हुई थी।