रांची| पांच जून को पर्यावरण दिवस पर जहां एक तरफ पेड़-पौधों और जंगलों को बचाने के नारों के साथ जुलूस-जलसों का जोर रहा, वहीं दूसरी तरफ झारखंड के रामगढ़ में इसके अगले ही दिन वन विभाग की टीम एक प्राइवेट फैक्ट्री के विस्तार के लिए ‘पेड़ों के बलिदान’ का प्रस्ताव लेकर गांव पहुंच गई। ग्रामीणों को इसकी खबर मिली, तो वे उबल पड़े।
इलाके के सैकड़ों स्त्री-पुरुष मौके पर इकट्ठा हो गए। महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं और ऐलान कर दिया कि एक भी पेड़ को काटने की कोशिश हुई तो पहले उनकी जान लेनी पड़ेगी। बताया गया कि रामगढ़ के कुजू ओपी क्षेत्र अंतर्गत बूढ़ाखाप में आलोक स्टील इंडस्ट्रीज नामक एक फैक्ट्री है। फैक्ट्री के पास वन भूमि और ग्रामीणों की जमीन है। फैक्ट्री प्रबंधन ने प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र की स्थापना वन भूमि में करने की योजना बनाई है और इसके लिए वन विभाग को प्रस्ताव सौंपा है।
विभाग ने इस प्रस्ताव के अनुरूप पेड़ों की गिनती के लिए मंगलवार को टीम भेजी। जैसे ही पेड़ों की गिनती शुरू हुई, पूरे इलाके में इसकी खबर फैली। देखते-देखते सैकड़ों लोग जुट आए और वन विभाग एवं फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ नारे लगाने लगे। महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं और वन विभाग की टीम को इसकी गिनती करने से रोक दिया।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस फैक्ट्री के प्रदूषण से वे पहले से परेशान हैं। फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं और गुबार से फसलें खराब हो रही हैं। गांव में कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं और अब इसके विस्तार के लिए जंगल की कुर्बानी देने की तैयारी हो रही है, लेकिन यह किसी हाल में नहीं होने दिया जाएगा।
रामगढ़ के डीएफओ मनीष कुमार ने इस बाबत पूछे जाने पर बताया कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा विभाग से किए गए पत्राचार के आलोक में विभाग की टीम पेड़ों की गिनती करने के लिए गई है। फैक्ट्री प्रबंधन वन भूमि में प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र लगाना चाहता है, ताकि फैक्ट्री से हो रहे प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। ग्रामीण वहां इसका प्रोटेस्ट कर रहे हैं।