नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से वर्ष 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को दोहराते हुये कहा कि बाधाएं, रूकावटें एवं चुनौतियाें को परास्त करके एक दृढ़संकल्प के साथ यह देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है और यदि 40 करोड़ लोग आजादी के सपनों को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी समृद्ध भारत के सपने को साकार कर सकते हैं।
श्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के 96 मिनट के पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा, “भारत का स्वर्णिम कालखंड है, 2047 विकसित भारत हमारी प्रतीक्षा कर रहा है।मैं साफ देख रहा हूं, मेरे विचारों में कोई झिझक नहीं है। मेरे सपनों के सामने कोई पर्दा नहीं है। मैं साफ-साफ देख सकता हूं कि ये देश 140 करोड़ देशवासियों के परिश्रम से हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में है। एक सौ 40 करोड़ देशवासी विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं”
उन्होंने कहा, “ मैंने पहले भी कहा था कि मेरे तीसरे कार्यकाल में देश दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तो बनेगा ही, लेकिन मैं तीन गुना काम करूंगा, तीन गुना तेज गति से काम करूंगा, तीन गुना व्यापकता से काम करूंगा, ताकि देश के लिए जो सपने हैं वो बहुत निकट में पूरे हो, मेरा हर पल देश के लिए है, मेरा हर क्षण देश के लिए है, मेरा कण-कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है और इसलिए सातो दिन चौबिसो घंटे और 2047 इस प्रतिबद्धता के साथ आइये मैं देशवासियों को आह्वान करता हूं, हमारे पूर्वजों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को हम संकल्प बनाएं, अपने सपनों को जोड़े, अपने पुरूषार्थ को जोड़े और 21वीं सदी जो भारत की सदी है, उस सदी में स्वर्णिम भारत बना करके रहें, उसी सदी में हम विकसित भारत बना करके रहें।”
श्री मोदी ने कहा कि उन सपनों को पूरा करते हुए आगे बढ़ना है और स्वतंत्र भारत 75 साल की यात्रा के बाद एक नये मुकाम पर बढ़ रहा है, तब हमें कोई कोर-कसर नहीं छोड़नी है। प्रधानमंत्री ने कहा “ मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपने जो मुझे दायित्व दिया है मैं कोई कोर-कसर नहीं छोडूंगा, मैं मेहनत में कभी पीछे नहीं रहूंगा, मैं साहस में कभी कतराता नहीं हूं, मैं चुनौतियों से कभी टकराते हुये डरता नहीं हूं, क्योंकि मैं आपके लिए जीता हूं, मैं आपके भविष्य के लिए जीता हूं, मैं भारत माता के उज्ज्वल भविष्य के लिए जी रहा हूं और उन सपनों को पूरा करने के लिए आज राष्ट्रध्वज की छाया में, तिरंगे की छाया में दृढ़ संकल्प के साथ हम आगे बढ़े।”
उन्होंने कहा ,“ आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ है। देश का नौजवान नयी सिद्धियों को चूमना चाहता है। नए-नए शिखरों पर कदम रखना चाहता है, इसलिए हमारी कोशिश है हर सेक्टर में कार्य को तेज गति दें और उसके द्वारा पहले हर सेक्टर में नए अवसर पैदा करें। दूसरा ये बदलती हुई व्यवस्थाओं के लिए ये जो सहयोगात्मक इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए उन पर हम बदलाव के मजबूती देने की दिशा में काम करें।” उन्होंने कहा कि नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता देनी होगी। इन तीनों ने भारत में एक आकांक्षी समाज का निर्माण किया है और उसके परिणामस्वरूप आज समाज खुद एक विश्वास से भरा हुआ है। देशवासियों की आकांक्षाएं, नौजवानों की ऊर्जा, देश के सामर्थ्य के साथ जोड़कर के आगे बढ़ने के एक ललक को लेकर के चल रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा “मुझे विश्वास है रोजगार और स्वरोजगार नए रिकॉर्ड के अवसर पर हमने काम किया है। प्रति व्यक्ति आज आय दोगुनी करने में हम सफल हुए हैं। वैश्विक विकास में भारत का योगदान बड़ा है। भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ा हुआ है, पहले से दोगुना पहुंचा है। ग्लोबल संस्थानों का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। मुझे विश्वास है भारत की दिशा सही है, भारत की गति तेज है और भारत के सपनों में सामर्थ्य है। लेकिन इन सबके साथ संवेदनशीलता का हमारा मार्ग हमारे लिए ऊर्जा में एक नई चेतना भरता है। ममभाव हमारे कार्य की शैली है। समभाव भी चाहिए और ममभाव भी चाहिए, उसको लेकर के हम चल रहे हैं।”
उन्होंने कहा,“ जब 100 से अधिक आकांक्षी जिले अपने-अपने राज्य के अच्छे जिलों की स्पर्धा कर रहे हैं, बराबरी करने लगे हैं तो लगता है कि हमारी दिशा और गति दोनों सामर्थ्यवान हैं। साठ साल बाद लगातार तीसरी बार देशवासियों ने हमें देश सेवा का मौका दिया है। एक सौ 40 करोड़ देशवासियों ने जो आशीर्वाद दिया है, उसके आशीर्वाद में मेरे लिए एक ही संदेश है जन-जन की सेवा, हर परिवार की सेवा, हर क्षेत्र की सेवा और सेवा भाव से समाज की शक्ति को साथ लेकर के विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचना।”
उन्होंने कहा, “ वर्ष 2047 विकसित भारत के सपने को लेकर के चलना है ,इसी एक संदेश को लेकर मैं आज लालकिले की प्राचीर से हमें आशीर्वाद देने के लिए मैं कोटि-कोटि देशवासियों का सर झुकाकर के आभार व्यक्त करता हूं, मैं उनके प्रति नतमस्तक होता हूं। मैं उनको विश्वास दिलाता हूं कि हमें नई ऊंचाइयों को, नए जोश के साथ आगे बढ़ना है। सिर्फ जो हो गया है वो संतोष मानकर के बैठने वाले हम लोग नहीं हैं, वो हमारे संस्कार में नहीं है। हम कुछ और करने के लिए, कुछ और आगे बढ़ने के लिए और कुछ और नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं। विकास को, समृद्धि को सपनों को साकार करने को, संकल्पों के लिए जीवन खपाने को हम अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं, देशवासियों को स्वभाव बनाना चाहते हैं।”