Tuesday, November 5, 2024

नोएडा में साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद,साइबर थाने में बनेगी फॉरेंसिक लैब

नोएडा। जनपद गौतमबुद्व नगर में साइबर अपराध के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए कमिश्नरेट पुलिस संसाधनों को बढ़ा रही है। साइबर अपराध को रोकने के लिए यहां के सभी थानों में पुलिस आयुक्त ने इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को तैनात किया है। वहीं नोएडा के सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम थाने में पुलिस अधिकारियों ने साइबर फोरेंसिक लैब बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। लैब बनने के बाद साइबर स्टाकिंग, बुलिंग, फ्रॉड की घटनाओं की जांच में तेजी आएगी। साइबर और आइटी से संबंधित अन्य जांच भी यहां कम समय में हो सकेगी। डीप फेक पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। लैब के निर्माण के बाद गलत मंशा के साथ अगर किसी महिला का वीडियो वायरल होता है तो पुलिस उसे समय रहते ही रोक सकेगी।
अभी तक कमिश्नरेट पुलिस की दिल्ली और लखनऊ की लैब पर निर्भरता है। शहर में फोरेंसिक लैब न होने से किसी भी हाइप्रोफाइल मामले की जांच में काफी समय लग जाता है और जांच की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। कमिश्नरेट पुलिस एक-एक करके संसाधनों को बढ़ा रही है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार ठगी और धोखाधड़ी समेत अन्य मामले में चार्जशीट तैयार करते समय लैब बन जाने से तकनीकी सबूत भी जुटाए जाएंगे। साइबर अपराधी ठगी करने के बाद चैट व लिंक तेजी से डिलीट करते हैं। यही नहीं ग्रुप में जोड़कर जो ठगी होती है उसमें एक पीड़ित को ग्रुप से बाहर निकाल कर बाकियों को फिर उसी ग्रुप से ठगा जाता है। ऐसे मामलों में पीड़ित के मोबाइल से पुलिस साइबर फोरिंसिक लैब के जरिए बहुत सा डेटा इन अपराधियों का आसानी से हासिल कर पाएगी।
अपर पुलिस आयुक्त बबलू कुमार ने बताया कि इसके साथ ही साइबर क्राइम थाने में एक सेंट्रलाइज्ड डेस्क भी बनाने का खाका तैयार किया जा रहा है। यह डेस्क सभी थानों की साइबर हेल्प डेस्क से जुड़ेगी। किसी भी थाने में शिकायत पर तकनीकी जांच या सबूत जुटाने की जरूरत पड़ने पर यह डेस्क तेजी से फोरेंसिक लैब से काम करवाएगी। यहां पर एक डेडिकेटेड टीम गठित की जाएगी जिसका काम ठगी की रकम को फ्रीज कराने का होगा। उन्होंने कहा कि आम तौर पर देखा जाता है कि नाइजीरिया, सिंगापुर और दुबई समेत अन्य देशों में बैठकर जालसाज शहर के लोगों के साथ विभिन्न प्रकार का प्रलोभन देकर ठगी करते हैं। देश के भीतर से ही विदेशी ठगों को बैंक खाता उपलब्ध कराया जाता है। जब तक पुलिस को ठगी की जानकारी होती है संबंधित खाते से रकम क्रिप्टो समेत अन्य माध्यमों से दूसरे देश में पहुंच जाती है। फोरेंसिक लैब बन जाने से ठगी के तुरंत बाद ही मामले पर काम शुरू हो जाएगा और ठगी की रकम को गोल्डन ऑवर में ही होल्ड करा दिया जाएगा।
देश के भीतर से संचालित ठग गिरोह पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा। साइबर क्राइम थाने के संचालन की जिम्मेदारी बीते माह कमिश्नरेट पुलिस को मिली थी। इससे पहले थाने का संचालन लखनऊ से हो रहा था। गौतमबुद्धनगर के अलावा गाजियाबाद और बुलंदशहर समेत अन्य शहरों के ठगी के बड़े मामले यहीं पर दर्ज होते थे। अब हर जनपद में साइबर क्राइम थाना शासन के निर्देश पर बनाया जा रहा है। पूर्व में तैनात साइबर क्राइम थाने की प्रभारी का तबादला आगरा कर दिया गया है। अन्य 14 पुलिसकर्मियों का भी ट्रांसफर हो गया है।
अब नए प्रभारी के नेतृत्व में नई टीम यहां का काम देख रही है। अपर आयुक्त ने बताया कि साइबर अपराध के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है। साइबर क्राइम थाने में साइबर फोरेंसिक लैब और सेंट्रलाइज्ड डेस्क बनाने की दिशा में तैयारी चल रही है। इससे साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में काफी आसानी होगी।
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