Monday, November 25, 2024

छवि बदलने में कामयाब हुए राहुल गांधी !

-डॉ श्रीगोपाल नारसन

भारत को एकजुट करने और आमजनता के साथ मिलकर देश को मज़बूत करने के लिए दक्षिण से उत्तर भारत तक निकाली गई

भारत जोड़ो यात्रा का 30 जनवरी को श्रीनगर जम्मू कश्मीर में भारी हिमपात के बीच खुले आसमान के नीचे समापन हो गया।इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने  कहा कि वे देश में नफ़रत के ख़िलाफ़ मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं।उन्होंने जगह-जगह भाषण देते हुए और मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि यह यात्रा कांग्रेस के लिए नही बल्कि देश को जोड़ने के लिए है।

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और बेरोज़गारी, महंगाई, भारत के सीमा क्षेत्र में चीन के दख़ल का मुद्दा भी उठाया।भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने क़रीब चार हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की है। उन्होंने भारी ठंड में टी-शर्ट पहनकर यात्रा करते हुए उन गरीब बच्चों का उदाहरण भी दिया जिनके पास पहनने के प्रयाप्त कपड़े नही है।इसी कारण उनका टी-शर्ट पहनने का मुद्दा छाया रहा। आज़ाद भारत में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पदयात्रा के बाद राहुल गांधी की यह यात्रा खास चर्चा का कारण बनी है।

राहुल गांधी ने इस यात्रा के माध्यम से अपनी छवि को भी सुधारा है और उनके साथ अन्य दलों के लोग भी समर्थन को आए है। तभी तो भारत जोड़ो यात्रा के द्वारा राहुल गांधी ने एक मज़बूत और गंभीर नेता की छवि बनाई है।भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी कही बच्चों के साथ खेलते नज़र आए तो कहीं बुज़ुर्ग महिला का हाथ थामकर उनका होंसला बढाते दिखाई दिए।तो कहीं आम लोगों को गले लगाकर उनका दुःख दर्द बांटते रहे।जिससे राहुल गांधी की एक सकारात्मक छवि बनकर उभरी है।

कहा जा सकता है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी के व्यक्तित्व को भी गंभीर बनाया है।  राहुल गांधी ने इस यात्रा के द्वारा हिंदुस्तान को निकट से देखा है,जिससे उन्होंने देश के हर गंभीर मुद्दे को समझने की कौशिश की।इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी के मज़बूत नेतृत्व के सामने एक ताक़तवर विकल्प के रूप में खड़े होने की कोशिश  इस यात्रा के ज़रिए की है।

यदि राहुल गांधी को बराबर का नेता ना भी कहें तब भी अब वो कतार में तो आ ही गए हैं।चूंकि लोग अब लोग राहुल गांधी को मोदी के विकल्प के रूप में गंभीरता से ले रहे हैं। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सांप्रदायिकता का मुद्दा जोर शोर से उठाया और लोगों को मिलकर एक साथ रहने का संदेश दिया,जो एक सार्थक पहल कही जा सकती है।राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का मक़सद सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के भीतर ही उन्हें गंभीर नेता के तौर पर स्थापित करना था,जिसमे उन्होंने कामयाबी हासिल की है।

लोग सवाल उठा रहे थे कि पूरे देश में मोदी और बीजेपी के ख़िलाफ़ केंद्र में कौन होगा?विकल्प न होने के कारण ही न चाहते हुए भी मोदी को चुनना लोगो की मजबूरी बनी हुई थी,लेकिन इस यात्रा से राहुल गांधी ने इसका जवाब देने की कोशिश की है,स्वयं को स्थापित करके स्वयं को मोदी का विकल्प सिद्ध किया है।नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से उनके विरोधियों को भारत जोड़ो यात्रा ने पहली बार इस तरह का प्लेटफ़ॉर्म दिया है।

भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आते ही पहला काम ये किया कि कांग्रेस को विपक्षी दल का दर्जा ना देते हुए उसे क्षेत्रीय दलों से भी कमतर साबित करने और राजनीति में किनारे करने की कोशिश की थी।ऐसे में राहुल गांधी के लिए सबसे जरूरी था कि देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित किया जाए। भारत का शायद ही कोई गांव ऐसा होगा जहां कांग्रेस पार्टी को लोग ना जानते हों,या फिर इस पार्टी के चाहने वाले न हो।

विपक्ष में रह-रहकर क्षेत्रीय नेता विपक्ष के केंद्र में आने का ख्वाब पालने लगे थे,कभी ममता बनर्जी, कभी नीतीश कुमार, कभी केसीआर तो कभी अरविंद केजरीवाल स्वयं को मोदी का विकल्प मानने लगे थे,लेकिन इस यात्रा के ज़रिए राहुल गांधी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि देश में सत्ता के विपक्ष का केंद्र  कांग्रेस व राहुल गांधी ही हैं।

 देश में विपक्ष कांग्रेस के बिना नहीं हो सकता ।जब कांग्रेस सत्ता में थी तब बीजेपी या संघ परिवार उसके विरोध का केंद्र होता था। अब कांग्रेस के सामने यह चुनौती थी कि वह अपने आप को विपक्ष का केंद्र बनाए।राहुल गांधी ने इस यात्रा से अपने इसी लक्ष्य को प्राप्त किया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में खत्म हुई। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई इस यात्रा ने करीब 3570 किलोमीटर का सफर तय किया है। जब यात्रा श्रीनगर पहुंची तो उनके स्वागत को जनसैलाब उमड़ पड़ा।

यहां भारी बर्फबारी के बाद भी कश्मीर के लोग यात्रा में शामिल हुए।कुल 146 दिन के इस भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने 14 राज्यों की सीमाओं को छुआ है। इनमें तमिलनाडु के कन्याकुमारी से केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। शेर-ए-कश्मीर मैदान श्रीनगर में  भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने मंच साझा किया।

कड़ी सुरक्षा और भारी बर्फबारी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, डीएमके, जेएमएम, बीएसपी, नेकां, पीडीपी, सीपीआई, आरएसपी, वीसीके और आईयूएमएल के नेताओं ने भाग लिया।कश्मीर में बर्फबारी देख राहुल-प्रियंका के चेहरे खिले रहे। उन्होंने एक दूसरे पर बर्फ भी फेंकी और खुशियां मनाई।  यात्रा में शामिल अन्य पदयात्रियों ने भी बर्फबारी का जमकर लुत्फ उठाया। यात्रा की शुरुआत से समापन तक इस यात्रा का चर्चाओं में रहना इसकी सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है।

डॉ श्रीगोपालनारसन

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