Saturday, November 23, 2024

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बाल विवाह के खिलाफ जगाई अलख

मुजफ्फरनगर। स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर गैर सरकारी संगठन ग्रामीण समाज विकास केंद्र ने बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए खतौली ब्लॉक के भायंगी, रुकनपुर, मंसूरपुर, बेगराजपुर, रसूलपुर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस दौरान गांवों और स्कूलों में रैलियां निकाली गईं और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर ग्राम प्रधान, स्कूली छात्र अध्यापक और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
बाल विवाह के खिलाफ यह जागरूकता अभियान नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित और विश्व प्रसिद्ध बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के आह्वान पर चलाया जा रहा है जिन्होंने देशवासियों से एकजुट होकर बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की अपील की है। उनके इस आह्वान पर देश भर के गैर सरकारी संगठन एकजुट होकर बाल विवाह के खिलाफ साझा अभियान चला रहे हैं।

भारत ने पिछले कुछ दशकों में बाल विवाह की बुराई को रोकने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि स्थिति अभी भी गंभीर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 20 से 24 आयु वर्ग में आने वाली 23.3 फीसद महिलाएं ऐसी हैं जिनका 18 साल से पहले ही विवाह कर दिया गया था। आंकड़े बताते हैं कि बाल विवाह के मामलों में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है जबकि इसके बाद बिहार और त्रिपुरा का नंबर है। गरीबी और अशिक्षा इसके पीछे प्रमुख कारण हैं लेकिन जागरूकता की कमी और रूढ़िवादी सोच भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
इस अवसर पर ग्रामीण समाज विकास केंद्र के सचिव मेहरचंद ने कहा, “आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इन 76 वर्षों में हमने बहुत तरक्की की है और बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन आज भी बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई देश के माथे पर कलंक है।

देश को शक्तिशाली बनाने और तरक्की की राह पर ले जाने के लिए बेटियों की सुरक्षा जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने विभिन्न योजनाओं और नीतिगत बदलावों के माध्यम से बेटियों के सशक्तीकरण और बाल विवाह के खात्मे के लिए तमाम कदम उठाए हैं लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। सामाजिक जागरूकता और लोगों के सहयोग से ही बच्चों के बचपन को लील जाने वाली इस बुराई को खत्म किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि बाल विवाह को खत्म करने के प्रति स्थानीय प्रशासन भी काफी संवेदनशील है। यही कारण है कि इसके खिलाफ अभियानों में स्थानीय प्रशासन से भी काफी सहयोग मिल रहा है।

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