नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जलवायु परिवर्तन, समुद्री डकैती, आतंकवाद, मादक पदार्थ तस्करी, अत्यधिक मछली पकड़ने और खुले समुद्र में वाणिज्य की स्वतंत्रता जैसी आम समुद्री चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हिन्द महासागर क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ढांचे की स्थापना का आह्वान किया है।
रक्षा मंत्री ने सोमवार को गोवा समुद्री सम्मेलन के चौथे संस्करण में इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र को असुरक्षित बनाने वाले स्वार्थी हितों से बचते हुए सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का सम्मान करने के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “ स्वतंत्र, खुली और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था हम सभी के लिए प्राथमिकता है। ऐसी समुद्री व्यवस्था में ‘शायद सही है’ का कोई स्थान नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का पालन हमारा आदर्श होना चाहिए। हमारे संकीर्ण तात्कालिक हित हमें अच्छी तरह से स्थापित अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन या अवहेलना करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से हमारे सभ्य समुद्री संबंध टूट जाएंगे। हम सभी के सहयोग के वैध समुद्री नियमों का सहयोगपूर्वक पालन करने की प्रतिबद्धता के बिना हमारी साझा सुरक्षा और समृद्धि को संरक्षित नहीं किया जा सकता है। सहयोग को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष नियम महत्वपूर्ण हैं कि कोई भी एक देश दूसरों पर आधिपत्य जमाने के तरीके से हावी न हो जाए,” ।
जलवायु परिवर्तन के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि परस्पर सहयाेग पर आधारित ढांचे में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और टिकाऊ तरीकों में बदलाव के लिए देशों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सभी देश हरित अर्थव्यवस्था में निवेश करके उत्सर्जन में कटौती करने की जिम्मेदारी स्वीकार करें और जरूरतमंद देशों के साथ प्रौद्योगिकी और पूंजी साझा करे तो दुनिया इस समस्या से उबर सकती है।
सिंह ने अवैध और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने को चुनौती करार देते हुए कहा कि यह संसाधनों का अत्यधिक दोहन है। उन्होंने कहा, “ अत्यधिक मछली पकड़ने से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और टिकाऊ मत्स्य पालन को खतरा होता है। यह हमारी आर्थिक सुरक्षा और क्षेत्रीय एवं वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए भी ख़तरा है। निगरानी डेटा के संकलन और उसे साझा करने के लिए एक बहुराष्ट्रीय सहयोगात्मक प्रयास समय की मांग है। इससे अनियमित या धमकी भरे व्यवहार वाले लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिसका दृढ़ता से मुकाबला करना होगा, ”।
सहयोग पर आधारित ढाँचों को स्थापित करने के बारे में रक्षा मंत्री ने देशों के बीच सहयोग और संसाधनों तथा विशेषज्ञता को साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने संकीर्ण राष्ट्रीय स्वार्थ और सभी देशों के प्रबुद्ध स्वार्थ पर आधारित पारस्परिक लाभ के बीच अंतर पर भी विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा, “ अच्छे परिणाम के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग और विश्वास जरूरी हाेता है लेकिन शत्रुतापूर्ण दुनिया में फायदा उठाने या अकेले कार्य करने के डर से इष्टतम निर्णय नहीं हो सकते हैं। चुनौती ऐसे समाधान खोजने की है जो सहयोग को बढ़ावा दें, विश्वास पैदा करें और जोखिमों को कम करें। हम जीएमसी, संयुक्त अभ्यास, औद्योगिक सहयोग, संसाधनों को साझा करना, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करना आदि जैसे संवादों के माध्यम से विश्वास का निर्माण करते हैं। सहयोगी देशों के बीच विश्वास से आम समुद्री प्राथमिकताओं के संबंध में श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे, ”।
विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए हिन्द महासागरीय देशों के बीच सहयोग की वकालत की। हिन्द महासागर के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने देश के समुद्री हितों की रक्षा करने और संकट के समय क्षेत्र में सबसे पहले कदम उठाने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने पारंपरिक और गैर-पारंपरिक तथा समुद्र से उत्पन्न होने वाले खतरों की बदलती प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे खतरों के खिलाफ प्रभावी शमन रणनीति विकसित करने की दिशा में एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है, जिससे हिन्द महासागर में शांति बनी रहती है और विकास सुरक्षित होता है।
रक्षा मंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ स्टालों का दौरा किया जिससे कि सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले गणमान्य व्यक्ति स्वदेशी विनिर्माण में भारत के रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमताओं की झलक देख सकें।
सम्मेलन के चौथे संस्करण का विषय ‘हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा: सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को सहयोगात्मक ढांचे में परिवर्तित करना’ है। नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्वावधान में सम्मेलन के दौरान कई सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
रविवार को शुरू हुए तीन दिवसीय सम्मेलन में कोमोरोस के रक्षा प्रभारी प्रतिनिधि मोहम्मद अली यूसुफ़ा और बांग्लादेश , इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की नौसेनाओं के प्रमुख अथवा वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।