Tuesday, April 22, 2025

सबका सम्मान करो और एकांत में अपनी कमियां तलाशो

मन से इस भावना को निकाल दो कि लोग तुम्हारा सम्मान करें, उचित यह है कि तुम सबका सम्मान करो। अविद्या और माया के पर्दें को हटाओ तथा एकान्त में अपनी कमियों का विश्लेषण करो।

पात्रता होगी तो सम्मान स्वयं ही मिल जायेगा, जो सर्वभूतों को अपने में तथा अपने को सर्वभूतों में देखता है वह किसी से घृणा नहीं करता, मनुष्य में दुर्बलता यह है कि उस पर जब भगवान की कृपा बरसती है तो वह उसे प्रभु की कृपा न मारकर अपनी ही उपलब्धि मानने लगता है, जिसके कारण उसमें अहंकार आ जाता है और इसी अहंकार के कारण दूसरों को हेय दृष्टि से देखने लगता है।

यह जो व्यक्ति का अहंकार है, वह दुखों का कारण बन जाता है। सफलता प्राप्त होने पर ‘मेरा पन’ और ‘मैं पन’ का विचार अहंकार को जन्म दे देता है। प्रत्येक उपलब्धि में यह जो मेरा पन है, यह उसको सम्मान का पात्र बनने ही नहीं देता।

यदि अपनी उपलब्धियों को प्रभु की कृपा का प्रसाद समझोगे तो सम्मान निश्चित रूप से प्राप्त होगा, क्योंकि तब अहंकार आयेगा ही नहीं। प्रभु से प्रार्थना करो कि हे प्रभो सब मुझे मित्र की दृष्टि से देंखे तथा मैं सबको मित्र दृष्टि से देखूं।

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