Tuesday, April 15, 2025

सनातन धर्म कभी खतरे में नहीं, योगी और मोदी के नेतृत्व में सुरक्षित : महंत रामरतन

महाकुंभ नगर। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रामरतन ने मंगलवार को आईएएनएस से कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने समाज और धर्म से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी की। महाकुंभ में “शाही स्नान” को लेकर सवाल किए जाने पर महंत रामरतन ने कहा कि “शाही” स्नान शब्द अब पुराना हो चुका है। पहले यह शब्द प्रयोग में था, लेकिन अब इसे बदलकर ‘अमृत स्नान’ कर दिया गया है। ‘अमृत स्नान’ शब्द अधिक उपयुक्त है, क्योंकि गंगा का पानी पवित्र और अमृत तुल्य है। इस परिवर्तन से शुद्धता का संदेश जाता है, जो सनातन धर्म की महिमा को दर्शाता है। महंत रामरतन ने मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मोहन भागवत जी का हम सम्मान करते हैं। वह हमेशा सनातन धर्म की बात करते हैं। जहां भी मस्जिदों में मंदिर के प्रतीक मिलते हैं, हमें उसका सम्मान करना चाहिए और वह जगह हमें पहचाननी चाहिए।

यह सर्वे होना चाहिए। उनके बयान में कोई गलत बात नहीं है।” क्या सनातन धर्म खतरे में है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सनातन धर्म कभी खतरे में नहीं हो सकता। जब भी सनातन धर्म पर संकट आता है, तब कोई न कोई अवतार आता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सक्षम नेता बताया और कहा कि उनके नेतृत्व में सनातन धर्म हमेशा सुरक्षित रहेगा। कुंभ में मुसलमानों की एंट्री को लेकर पूछे जाने पर महंत रामरतन ने कहा कि उन्हें मुसलमानों से कोई समस्या नहीं है, बल्कि उनकी आपत्ति उन मुसलमानों से है जो मेला क्षेत्रों में गंदगी फैलाते हैं, जैसे चाय की दुकानों में मल-मूत्र डालते हैं। उनका कहना है कि वह केवल ऐसे लोगों के खिलाफ हैं, न कि आम मुसलमानों के। उन्होंने कहा कि यदि मुस्लिम सरकारी अधिकारी कुंभ में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, तो उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। महंत रामरतन ने गंगा के पानी को अमृत बताते हुए कहा कि गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं। उनका मानना है कि गंगा का पानी हमेशा स्नान योग्य रहता है और यह हिंदू धर्म का अहम हिस्सा है।

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उन्होंने इस बात को भी नकारा कि गंगा का पानी अब स्नान योग्य नहीं रहा। अरविंद केजरीवाल की ओर से पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये मासिक देने के ऐलान पर उन्होंने कहा, “केजरीवाल झूठे आदमी हैं, पहले भी कई बार झूठे वादे कर चुके हैं और उन्होंने अपने मुख्यमंत्री बनने के लिए कई घोषणाएं की हैं, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं।” उन्होंने इसे केवल एक “राजनीतिक चाल” बताया। कुंभ में हिंदू राष्ट्र का प्रस्ताव पास होने को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर महंत रामरतन ने कहा कि कुंभ में इस तरह के प्रस्ताव की कोई आवश्यकता नहीं है। उनका कहना है कि हिंदू धर्म की असल पहचान उसके आचरण और भक्ति में है, और इसे राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। अखिलेश यादव के बयान और कुंभ में उनके स्वागत को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम हमेशा सरकार के कामों की आलोचना करना होता है।

फिर भी, यदि अखिलेश यादव कुंभ में आना चाहते हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा, क्योंकि यह धार्मिक कार्यक्रम है और सभी नेताओं का स्वागत किया जाता है। उन्होंने कहा कि 2019 में भी अखिलेश यादव का स्वागत किया गया था और कोई भी नेता आकर संतों का दर्शन कर सकता है। संभल में हुई हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को सपा की ओर से आर्थिक मदद मिलने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने मरने वालों को पांच-पांच लाख रुपये दिए, लेकिन क्या कभी अखिलेश जी ने हिंदुओं के लिए भी ऐसी कोई घोषणा की है? वह केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं, न कि किसी की मदद करते हैं। मुस्लिमों के लिए वह हमेशा खड़े होते हैं, लेकिन जब हिंदू मरते हैं तो क्या वह उनके लिए खड़े होते हैं? कभी नहीं। महाकुंभ को लेकर विपक्ष की ओर से की जा रही बयानबाजियों पर उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम सरकार के फैसलों का विरोध करना होता है, चाहे वह कितना भी अच्छा काम कर रही हो। जब योगी आदित्यनाथ और मोदी सरकार अच्छे काम करती है, तो विपक्ष उसकी आलोचना करता है और यह राजनीति का हिस्सा है।

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