नई दिल्ली। विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल के कार्यालय में धरना दिया और राज्य सरकार से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की सभी 14 रिपोर्टों को सदन में पेश करने के लिए सदन का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।
विजेंद्र गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हर तरफ से बढ़ते दबाव के बावजूद विधानसभा में 14 कैग रिपोर्टों को पेश करने में जानबूझकर देरी करके सरकार ने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी हैं। यह देरी अपना कार्यकाल पूरा करने और इन रिपोर्टों में छिपे भ्रष्टाचार को जनता से छुपाने की एक हताश कोशिश प्रतीत होती है। विधानसभा अध्यक्ष से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अभय वर्मा, अजय महावर, अनिल बाजपेयी और जितेंद्र महाजन शामिल थे।
विजेंद्र गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भाजपा विधायक दल ने इसी मुद्दे को लेकर 19 दिसंबर को एक ज्ञापन सौंपा था। आज विपक्ष ने एक और ज्ञापन सौंपकर विधानसभा अध्यक्ष से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया। ज्ञापन में रेखांकित किया गया कि सीएजी पारदर्शिता, जवाबदेही और वित्तीय और प्रशासनिक प्रथाओं का मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से सरकारी विभागों का ऑडिट करता है। कैग ने अपना कर्तव्य निभाते हुए 2017-18 से 2021-22 के लिए विभिन्न सरकारी विभागों की ऑडिट रिपोर्ट सरकार को सौंपी। ये रिपोर्ट पिछले दो वर्षों से सरकार के पास लंबित हैं और अभी तक विधानसभा में पेश नहीं की गई हैं।
ऐसा करने में विफलता न केवल विधानसभा सदस्यों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है बल्कि सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करती है, क्योंकि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सार्वजनिक धन का उपयोग कैसे किया जा रहा है। गुप्ता ने इन कैग रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करवाने के लिए विपक्ष को बार-बार संघर्ष करने की आवश्यकता पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे को विधानसभा में कई बार उठाया गया है। हमारी मांगों को संबोधित करने की बजाय सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी विधायकों को अपमानित किया, जिससे हमें राष्ट्रपति, उपराज्यपाल, और मुख्य सचिव जैसे संवैधानिक अधिकारियों से हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया गया। इन अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद सरकार ने कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की है।
गुप्ता ने कहा कि विपक्ष ने अंततः दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और सरकार को लंबित रिपोर्टों को चर्चा के लिए विधानसभा में पेश करने का आदेश देने का अनुरोध किया। अदालती कार्यवाही के दौरान सरकार ने आश्वासन दिया कि वह दो-तीन दिन के भीतर विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट भेज देगी। हालांकि सरकार अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रही। परिणामस्वरूप विपक्ष ने उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की, जिसमें इन रिपोर्टों को पेश करने के निर्देश को लागू करने का अनुरोध किया गया। गत 24 दिसंबर को ताजा सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि कैग रिपोर्ट उसी दिन विधानसभा सचिवालय को भेज दी गई थी।
मामले में अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 को होनी है। उन्होंने आगे कहा कि इन रिपोर्टों को पेश करने में व्यापक देरी सरकार की मंशा पर गंभीर संदेह पैदा करती है। यह देरी सरकार की ओर से कदाचार का स्पष्ट संकेत देती है, क्योंकि वह बार-बार इन रिपोर्टों को पेश करने से बचती है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में समाप्त होने और नए विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ इस उद्देश्य के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की तत्काल आवश्यकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हमने मांग की है कि अध्यक्ष तुरंत एक विशेष सत्र बुलाएं और सरकार को कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का निर्देश दें।