Monday, February 24, 2025

ऐसे हो आत्म साक्षात्कार, तो परमात्मा मिलन है संभव

जो मानव जीवन का महत्व समझते है, उन्हें आत्म साक्षात्कार और प्रभु दर्शन की उत्कंठा होती है। इनके द्वारा वो सफलता पाने के उपाय ढूंढता है।

तत्वदर्शी आत्म साक्षात्कार का सीधा-सच्चा मार्ग बताते हैं कि अहंकार का विसर्जन कर समर्पण भाव से प्रभु की शरण में जाओ। समर्पण के बिना आत्म साक्षात्कार तथा परमात्मा मिलन संभव है ही नहीं। समर्पण भाव से ही राम सेवा में रत हनुमान भारत के सर्वमान्य पूजनीय हो गये। तुलसीदास राम के प्रति समर्पित होकर प्रसिद्ध महान संत कवि हो गये। मीरा का समर्पण गिरधर गोपाल के प्रति जग जाहिर है।

जन्म-मरण से मुक्ति का सरल उपाय है स्वयं को ईश्वर की शरण में समर्पित कर देना। परमात्मा को भक्ति से पाया जा सकता है, युक्ति से नहीं।

यदि हम श्रद्धा से ईश्वर के प्रति समर्पित हैं तो प्रभु हमारा कल्याण अवश्य करेंगे। श्रद्धा जितनी बलवती होगी, आत्मबल उतना ही दृढ होगा। हम अपने लक्ष्य के उतने ही निकट भी होंगे।

प्रभु मिलन की बात हो या किसी आत्मीयजन को पाने की उत्कंठा, उनके प्रति असीम आदर का प्रतीक है श्रद्धा जिसमें समर्पण भी समाहित है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय