यदि आपका घर ऐसे इलाके में है, जहाँ धूल-मिट्टी ज्यादा आती है तो पर्र्दों को महीने में एक बार अवश्य धोएं वरना दो महीने में एक बार धोएं।
सूती पर्दों को घर पर ही धोएं। जिन पर्दो पर भारी काम हो, उन्हें ड्राईक्लीन करवाएं।
पर्दों को रोजाना झाड़ें ताकि धूल-मिट्टी उनके अंदर न जम पाए। वैक्यूम क्लीनर से भी साफ कर सकती हैं।
पर्दे के रंगों को ज्यों का त्यों रखने के लिए उन्हें सिलते वक्त उनके नीचे अस्तर अवश्य लगाएं।
यदि पर्दों को ड्राईक्लीन करवाती हैं तो उन्हें छ महीने के बाद ही ड्राईक्लीन करवाएं। इससे वे अधिक समय तक टिकेंगे।
पर्दे बनाने के लिए आप अपनी पुरानी सिल्क की साडिय़ां, फुलकारी, भारी दुपट्टे इत्यादि का प्रयोग कर सकती हैं।
इन्हें खूबसूरती से सिलवाएं। ध्यान रहे, ऐसे पर्दो को ज्यादा न धोएं क्योंकि ऐसे में ये अपनी प्राकृतिक चमक खो देते है।
पर्दों के लिए मुलायम कपड़ों का चुनाव बेहतर रहता है। ये अधिक समय तक टिकते हैं। कड़क कपड़े का इस्तेमाल न करें क्योंकि इनके जल्दी फटने का अंदेशा रहता है।
ऐसे रंग के कपड़े का चुनाव न करें, जिसके निकलने का खतरा हो। रंग निकल जाने पर ये बहुत भद्दे लगते हैं।
पर्दों को किसी कुशल कारीगर से ही सिलवाएं। इनकी अच्छी सिलाई न हो तो ये टंगे हुए काफी खराब दिखते हैं।
– भाषणा गुप्ता