हरिद्वार। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आज हरिद्वार दौरे पर रहे। जहां वे सबसे पहले हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ पहुंचे। इसके बाद उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय के वार्षिकोत्सव अभ्युदय में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने हिंदी के विरोध और चमोली माणा एवलॉन्च हादसे पर भी बयान दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का यह वार्षिक उत्सव भारत की शाश्वत ज्ञान परंपराओं में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया है। ऋषि पतंजलि ने योग को व्यवस्थित कर मानवता को समग्र कल्याण का जो मार्ग दिखाया था, वो पतंजलि के रूप में एक वट वृक्ष का रूप ले चुका है। योग को जन आंदोलन बनाने में बाबा रामदेव ने अभूतपूर्व कार्य किया है। भारत को दोबारा जागृत करने के लिए उन्होंने लंबी और कठिन तपस्या की।
उन्होंने कि पतंजलि के पतंजलि रिसर्च सेंटर के रूप में समाज को एक बड़ा योगदान दिया है। यह सेंटर पतंजलि विश्वविद्यालय को शिक्षा और अनुसंधान के साथ इनोवेशन का भी केंद्र बनाएगा। पतंजलि विश्वविद्यालय आने वाले समय में चिकित्सा एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व को समाधान देगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शोध से जोड़ने का मजबूत आधार है। पतंजलि भी इसी उद्देश्य को लेकर काम कर रहा है।
आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सबसे बड़ी प्रयोगशाला पतंजलि योग विद्यापीठ है।
भारत की कालजयी विरासत को आगे ले जाना, सभी का सामूहिक संकल्प होना चाहिए। विकसित भारत की पहचान भौतिकवादी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि विकसित व्यक्तित्वों से होगी। हमें प्रौद्योगिकी, समाज नीति और अर्थनीति में देश को आगे ले जाने के लिए व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से संगठित प्रयास करने होंगे। इसमें पतंजलि की भी बड़ी भूमिका रहेगी। हिंदी के विरोध पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा सभी भारतीय भाषाओं को महत्व देना चाहिए। सभी भाषाओं का समान अधिकार है। समान तरीके से उसको पढ़ना चाहिए। यह उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। तमिलनाडु में कुछ मित्र राजनीतिक उद्देश्य से हिंदी का विरोध कर रहे हैं। जबकि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहीं भी नहीं कहा गया है हिंदी ही पढ़ाया जाएगा। मातृभाषा अखंड शिक्षा की होगी, तमिलनाडु में तमिल ही होगी।
वहीं, माणा एवलॉन्च की घटना पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड और सीएम धामी ने बड़े आपत्ति का सामना किया है। लगभग सभी लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है। जो लापता है, उनकी खोज जारी है। आने वाले दिनों में इस प्रकार की घटना न हो, उसको लेकर सजग रहना होगा। ताकि, इस प्रकार के हादसे ना हो। उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा से जूझता है। अनहोनी को कोई टाल नहीं सकता है, लेकिन सरकार ने आपदा से निपटने के लिए व्यवस्थाएं की है।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व विवि की छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।