पिछली फिल्मों ‘छिछोरे’ (2019) ’83’ (2021) ‘लूप लपेटा’ (2022) और वेब सिरीज ‘ये काली काली आंखें’ (2022) ‘सुल्तान ऑफ देहली’ (2023) में ताहिर राज भसीन ने जिस तरह के रोमांटिक हीरो वाले या पॉजिटिव किरदार निभाये, उन्हें, उनके व्दारा ’मर्दानी’ (2014) में निभाये गये एंटी हीरो वाले रोल की तुलना में ज्यादा पसंद किया जा रहा है।
21 अप्रेल, 1987 को दिल्ली में पैदा हुए ताहिर राज भसीन 2010 में, ग्रेजुएशन करने के बाद 23 साल की उम्र में एक्टर बनने का सपना लिए सपनों की नगरी मुंबई चले आये।
संजय खंडूरी व्दारा निर्देशित कॉमेडी थ्रिलर ’किस्मत लव पैसा दिल्ली’ (2012) में एक छोटे किरदार से उन्होंने एक्टिंग करियर की शुरूआत की। उसके बाद वे अभिषेक कपूर की ’कोई पो चे’ (2013) में, महज सात सैकंड की भूमिका में दिखाई दिए। ’वन बाई टू’ (2014) में भी उनका रोल बेहद छोटा था।
रानी मुखर्जी की शीर्षक भूमिका वाली ’मर्दानी’ (2014) में पहली बार, ताहिर राज भसीन को एक बेहद पॉवरफुल नेगेटिव रोल निभाने का अवसर मिला। उसके लिए उन्हैं 2014 के लिए फिल्मफेयर ने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में नॉमिनेट किया गया जबकि स्क्रीन अवार्ड वालों ने तो बेस्ट एक्टर इन नेगेटिव रोल केटेगरी के लिए ट्रॉफी ही उनके नाम कर दी।
इसके बाद ताहिर के कैरियर की गाड़ी चल निकली और उनके नाम के साथ ’फोर्स 2’ (2016) ’मंटो’ (2018) और ’छिछोरे’ (2019) जैसी एक के बाद एक ब्लॉक बस्टर फिल्में जुड़ती चली गईं। ’कबीर खान की फिल्म ’83’ (2021) में उन्होंने सुनील गावस्कर के किरदार में, कमाल का काम करते हुए खूब ख्याति बटौरी।
’रंजिश ही सही’ (2022) और ’ये काली काली आंखें’ (2022) और ‘सुल्तान ऑफ देहली’ जैसी वेब सिरीज में भी उनके काम की जमकर सराहना हुई।
इस वक्त ताहिर राज भसीन नेटफ्लिक्स’ की एक अनटाइटल्ड वेब सीरीज के अलावा ‘साले आशिक’ और कॉलिंग करन’ जैसी फिल्मों में बिजी हैं।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर वे अपना खुद का ’टॉकिंग क्राफ्ट’ नाम से चैट शौ भी चला रहे है। इस चैट शौ में वो इस इंडस्ट्री की कुछ बेहतरीन रचनात्मक ताकतों के साथ बातचीत करते नजर आ रहे हैं।
-सुभाष शिरढोनकर