नई दिल्ली/मधुबनी। अंग्रेजी के विकास में संस्कृत भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। अंग्रेजी में प्रयोग होने वाले कई शब्द संस्कृत से लिए गए हैं, जिसमें अंग्रेजी के लव शब्द संस्कृत के लव्यंते ते धातु से बना है। अंग्रेजी अपने लचीले स्वभाव के कारण काफी विकसित हुई है। देश के जाने-माने लेखक एवं शिक्षाविद डॉ बीरबल झा ने सोमवार को अंग्रेजी और संस्कृत के सम्यक ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए कहा यह बात कही।
ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबंध निदेशक डॉ बीरबल झा ने ‘लक्ष्मीवती गुरुकुल’ सरिसवपाही में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम संस्कृत और अंग्रेजी को साथ लेकर चलें तो व्यक्तित्व विकास के साथ अच्छे करियर पाना सहज हो जाएगा। झा ने गुरुकुल के बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत को देववाणी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे भगवान ब्रह्मा ने उत्पन्न किया था।
डॉ झा ने कहा कि अंग्रेजी आज दुनिया की संपर्क भाषा है। यही कारण है कि अंग्रेजी दुनिया में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी व्यापार से लेकर कूटनीति, विज्ञान से लेकर प्रौद्योगिकी, पर्यटन से लेकर मनोरंजन और इंटरनेट से जुड़ी है। इसका दखल जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में हमारे लिए इस भाषा को सीखना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि आज अंग्रेजी देश लेकर विदेश तक बेहतर नौकरी पाने में मदद करती है। ऐसे में अंग्रेजी और संस्कृत का मेल हो जाए तो सोने में सुहागा हो जाएगा।
डॉ बीरबल झा ने कहा कि गुरुकुल के कई छात्रों ने संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी में भी अपनी दिलचस्पी दिखाई है। वे शीघ्र ही ब्रिटश लिंग्वा के ऑनलाइन क्लासेज से जुड़कर संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी भी सीखेंगे और और अपने करियर में सफलता की बुलंदियों को छुएंगे। मिथिला के यंगेस्ट लिविंग लेजेंड के रूप में ख्याति प्राप्त डॉ झा ने कहा कि व्यक्ति से ही समाज का निर्माण होता है। ऐसे में अच्छे व्यक्ति बनेंगे तभी अच्छे समाज का निर्माण होगा।
इस अवसर पर गुरुकुल के संचालक आचार्य रूपेश झा ने कहा कि डॉ बीरबल झा की पहल से रोजी-रोजगार के क्षेत्र में मिथिला में क्रांन्तिकारी बदलाव आया है। “लक्ष्मीवती गुरुकुल सरिसवपाही” के प्राचार्य डॉ सतीशचन्द्र झा, संचालक आचार्य रूपेश कुमार झा, समन्वयक रामकुमार झा सहित गुरुकुल के बच्चों ने वैदिक मंत्रों के साथ डॉ. झा का भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. झा को पाग डोपटा से सम्मानित किया गया। डॉ. झा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को स्पोकन इंग्लिश स्किल से जोड़कर रोजगारमूलक बनाने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। डॉ. झा भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं और उनका जीवन भी संघर्षों में बीता है। इसलिए वे ग्रामीण बच्चों की पीड़ा को भलीभांति समझते हैं।