मेरठ। उन्मुक्त भारत द्वारा चरित्रशाला का आयोजन राधा गोविंद पब्लिक स्कूल, गढ़ रोड, मेरठ में किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में सुभारती समूह के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण ने कहा की जो आदत या स्वभाव बचपन में बन जाता हैं, वह ताउम्र रहता है। उन्होंने कहा कि यदि हम बचपन से राष्ट्र के प्रति सकारात्मक भाव पैदा करेंगे तो यह भाव जीवन भर रहेगा और हमें देश के प्रति समर्पित रहने को प्रेरित करता रहेगा।
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डॉ अतुल कृष्ण कहा कि तीन स्वतंत्रता संग्रामों के बारे में आज तक हमें यही पढ़ाया गया की 1857 में स्वतंत्रता संग्राम हुआ जो कि पहला स्वतंत्रता संग्राम था। जबकि दो और स्वतंत्रता संग्राम भी हुए थे।दूसरा स्वतंत्रता संग्राम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा 21 अक्टूबर 1943 में अखंड भारत की स्थापना कर शुरू किया गया। तीसरा स्वतंत्रता संग्राम नाविकों का विद्रोह के नाम से इतिहास में दर्ज है, जबकि यह विद्रोह नहीं स्वतंत्रता संग्राम था। तीसरा स्वतंत्रता संग्राम 18 फरवरी 1946 को हुआ और यह जल सेना से वायु सेना, थल सेना और आम जनता में फैल गया था।
जब इसकी सूचना ब्रिटिश सरकार को दी गई, उसी के फलस्वरूप 2 सितंबर 1946 में आंतरिक सरकार बनी और 20 फरवरी 1947 को तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली साहब ने घोषणा की थी कि फरवरी 1948 तक हम भारत को स्वतंत्रता प्रदान कर देंगे । इस प्रकार दूसरे और तीसरे स्वतंत्रता आंदोलन की भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में विशेष भूमिका रही ।कार्यक्रम में परवेज बशीर ने यातायात नियमों और मोबाइल के उपयोग और दुरुपयोग पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को जागरूक किया। अनिल अज्ञात ने विद्यार्थियों को आत्मनिरीक्षण द्वारा स्वयं पर नियंत्रण का विषय रखते हुए कहा कि विद्यार्थियों यदि आप शिक्षकों और माता-पिता की टोका-टाकी से बचना चाहते हो तो नित्य स्वयं का अवलोकन करो।विद्यालय की सचिव सुगंधा त्यागी व प्रधानाचार्या संगीता कश्यप ने स्मृति चिह्न देकर डॉ. अतुल कृष्ण , परवेज बशीर और अनिल अज्ञात को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन विजेता ने किया।
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विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। कक्षा 9 ,10, 11 व 12 के विद्यार्थियों ने चरित्र शाला में भाग लिया। कार्यक्रम में जय हिंद का उदघोष हुआ। अन्त में विद्यार्थियों ने “राष्ट्र प्रथम,सदैव प्रथम” के नारे लगाए और अखंड भारत का राष्ट्रगान गाया। साथ ही उन्मुक्त भारत की टीम ने विद्यालय को अखंड भारत का राष्ट्रगान समर्पित किया गया।