मेरठ। हैजा फैलने का मुख्य कारण दूषित भोजन और पानी है। यह गंदे हाथों और नाखूनों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी हो सकता है। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में आ रहे बच्चों में यह बीमारी देखने को मिल रही है। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 23 सितंबर को विश्व हैजा दिवस मनाया जाता है।
हैजा बीमारी की वजह से गंभीर दस्त की समस्या होती है, जिससे डिहाइड्रेशन की स्थिति पैदा हो जाती है और समय पर इलाज न हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। हालांकि कोरोना महामारी के बाद से हैजा के रोगियों में कमी आई है। वजह ये है कि कोरोना के बाद से लोगों में हाथों की सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ी है। बार-बार सफाई और जागरूकता से हैजा रोग काफी कम हुआ है।
मेडिकल कॉलेज के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नवरत्न ने बताया कि हैजा पहले लोगों में ज्यादातर दूषित पानी पीने से होता था, लेकिन आजकल लोगों में जागरूकता बढ़ी है। शिशु रोग विभाग में वर्तमान में 250 रोगी आते हैं, जिनमें से करीब दो-तीन फीसदी ही बच्चे हैजा से पीड़ित आ रहे हैं। ऐसी ही स्थिति जिला अस्पताल की है। सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने बताया कि हैजा रोग ज्यादातर मई से सितंबर माह के बीच ज्यादा होता है, क्योंकि इन दिनों में मक्खी अधिक होती हैं और गंदगी लेकर खानपान को दूषित कर देती हैं।