वांशिंगटन। भारत के लोकतंत्र से पूरी दुनिया का लोकहित जुड़ा है और यदि उसमें बिखराव होता है तो इसका असर पूरे विश्व पर पड़ेगा तथा यह अमेरिका के भी हित में नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र देश का आंतरिक मामला है।
राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा पर हैं। राहुल गांधी ने गुरुवार को नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ना हमारा काम है और यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम समझते हैं, जिसे हम स्वीकार करते हैं और हम ऐसा कर रहे हैं लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय लोकतंत्र पूरी दुनिया की भलाई के लिए है। भारत इतना बड़ा है कि यदि भारत के लोकतंत्र में बिखराव पैदा होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इसलिए यह आपको सोचना है कि भारतीय लोकतंत्र को आपको कितना महत्व देना है लेकिन हमारे लिए यह एक आंतरिक मामला है और हम इस लड़ाई को लडऩे के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम जीतेंगे।
उन्होंने भारतीय अमेरिकी फ्रैंक इस्लाम द्वारा पूछे गए लोकतंत्र संबंधी सवालों पर जवाब दिया। गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों को विस्तार देने की आवश्यकता है और ये केवल रक्षा संबंधों तक ही सीमित नहीं होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत को अपने हितों के अनुसार काम करना होगा। और यही (सोच) हमारा मार्गदर्शन करेगी। इसलिए मैं उस निरंकुश सोच को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हूं, जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि ग्रह पर लोकतंत्र की रक्षा करना बहुत जरूरी है। इसमें भारत की भूमिका है। निश्चित रूप से चीजों को लेकर भारत का अपना नजरिया है और मुझे लगता है कि उस नजरिए को पटल पर रखा जाना चाहिए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी को इन बातों को चीजों का केंद्र समझना चाहिए। मुझे लगता है कि ऐसा करना अहंकार होगा।
राहुल ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, हमें पता है कि हमारी ताकत क्या है: लोकतांत्रिक मूल्य, डेटा, प्रौद्योगिकी और बहुत पढ़ी लिखी एवं प्रौद्योगिकी के स्तर पर शिक्षित जनसंख्या ऐसी कुछ चीजें हैं। ये हमारी ताकत हैं। मुझे लगता है कि हमें इनके आधार पर अपना रास्ता बनाना चाहिए।
उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया से संवाद के दौरान कहा कि अमेरिका और भारत यदि एक साथ आ जाते हैं, तो वे बहुत शक्तिशाली बन सकते हैं। हम दुनिया को लेकर एक विशेष सोच का सामना कर रहे हैं, वह सोच दुनिया को लेकर चीनी नजरिया है, जो उत्पादकता एवं समृद्धि की बात करता है, लेकिन एक कम लोकतांत्रिक व्यवस्था में।
गांधी ने कहा कि हमारे लिए यह अस्वीकार्य है, क्योंकि हम गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था में फल-फूल नहीं सकते, इसलिए हमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में उपयोगी उत्पादन एवं समृद्धि के बारे में सोचना होगा और मुझे लगता है कि ऐसी स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच एक पुल हमारे और आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह पूछे जाने पर कि यदि कांग्रेस सत्ता में लौटती है, तो क्या वह भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करेगी, गांधी ने कहा, भारत में पहले ही मजबूत प्रणाली है। यह प्रणाली कमजोर कर दी गई है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह प्रणाली है ही नहीं। यदि लोकतांत्रिक बातचीत को बढ़ावा दिया जाता है, तो ये मुद्दे अपने आप सुलझ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे नजरिए से भारत में लोकतंत्र की नींव बहुत मजबूत है।