मेरठ। रामलीला मंचन के दौरान इन दस दिन हम लोग सात्विक भोेजन करते हैं। प्याज और लहसुन पूरी तरह से त्याग देते हैं। रामलीला के इन दस दिन हम पूरी तरह से धार्मिक रहकर अपने पात्रों को जीते हैं। यह कहना है भैसाली मैदान में राम बने चीनू गुसाईं का। जो कि उत्तराखंड से हैं। उन्होंने बताया कि वो भैसाली मैदान की रामलीला में 2011 से राम बनते आ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने लक्ष्मण की भूमिका भी निभाई थी।
चीनू गुसाईं कहते हैं कि पूरे साल वो एलबम और शार्ट फिल्मों में काम करते हैं। लेकिन रामलीला में अभिनय करने के लिए पूरे साल इंतजार करते हैं। उन्होंने बताया कि रामलीला में राम का अभिनय करना अपने आप में बहुत ही कठिन होता है। वो समय ऐसा होता है जब हमको पूरी तरह से अपने अभिनय में ढल जाना होता है। मेरठ के भैसाली मैदान में 10 दिन रामलीला होती है। इन 10 दिनों का पूरे साल इंतजार रहता है।
रामलीला देखने वाले लोग हमको ही राम मानते हैं
चीनू गुसाईं का कहना है कि रामलीला के दर्शक रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों को ही असली राम,लक्ष्मण और सीता मानते हैं। इस दौरान बहुत से लोग उनके पैर छूते हैं। ऐसे में उनको अंदर से एक अलग तरह की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि रामलीला के दौरान इन 10 दिनों में वो राम का अभिनय करते हुए पूरी तरह से उसमें लीन हो जाते हैं। मंच पर पहुंचते ही जब अभिनय शुरू करते हैं तो उनके भीतर पता नहीं कहां से शक्ति का संचार होने लगता हैं। अभिनय करते हुए उन्हें एक अलग अनुभूति महसूस होती है। जब हम राम का रूप लेते हैं तो अलग से एक एनर्जी आती है। मंच पर जाते ही हमे कुछ नहीं पता होता। सबकुछ प्रभु श्रीराम ही करवाते हैं।
पूरे साल में इन 10 दिनों में मौका मिलता है मेरठ के दर्शकों के बीच आने का। इसका पूरे साल इंतजार रहता है। ये कहना है लक्ष्मण का अभिनय करने वाले राहुल जैन का। राहुल जैन ने कहा कि हमारा सनातन धर्म बहुत अच्छा है। आने वाली जनरेशन को सनातन धर्म के बारे में बताया जाए। बचपन से ही मुझे रामलीला देखने का शौक था। जब रामलीला देखता था तो यहीं सोचता था कि मुझे भी ऐसा मौका मिले और मैं भी राम बनू। आज मौका मिला है। राम तो नहीं बन सका लेकिन लक्ष्मण का किरदार जरूर निभा रहा हूं। भगवान श्रीराम की कृपा हमारे ऊपर बनी हुई है।