नई दिल्ली। इस बार का लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न हो रहा है और चुनाव का नतीजा 4 जून को घोषित होना है। अंतिम चरण के मतदान के लिए गुरुवार को प्रचार समाप्त हो गया। ऐसे में इस बार का चुनाव कई मायनों में बेहद खास रहा। तपती झुलसती गर्मी के बीच भी जिस तरह से राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में अपनी पार्टी की जीत के लिए पूरी ताकत झोंकी और जिस तरह का जनसमर्थन रोड शो और रैलियों में पक्ष और विपक्ष दोनों को मिला वह अप्रत्याशित रहा।
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इस चुनाव में तेज तपती धूप और आग बरसाती सूर्य की किरणों के प्रकोप के बीच भी मतदाताओं ने जिस तरह से लोकतंत्र के इस महापर्व में 6 चरणों के मतदान में अपनी हिस्सेदारी निभाई वह सच में अकल्पनीय रहा। 2024 के चुनाव में ‘अबकी बार 400 पार’ और ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ के नारों ने मतदाताओं का ध्यान अपनी तरफ खूब आकर्षित किया। इसके साथ ही कांग्रेस का ‘हाथ बदलेगा हालात’, ‘न्याय योजना’ और भाजपा का चुनावी स्लोगन ‘मोदी की गारंटी’ भी लोगों को खूब पसंद आई। हालांकि, हर बार का चुनाव उसके संदेश के लिए याद किया जाता है जो जनता के बीच राजनीतिक पार्टियां परोसती हैं।
चाहे 1977 आपातकाल के समय का चुनाव हो, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर भरा चुनाव हो, 2004 में भाजपा के द्वारा ‘शाइनिंग इंडिया’ स्लोगन के साथ लड़ा गया चुनाव हो। वैसे ही पीएम मोदी के तीन चुनावों का स्लोगन भी लोगों को याद रहेगा। 2014 में भाजपा ‘अबकी बार मोदी सरकार’, 2019 में ‘मैं भी चौकीदार’ और अब 2024 में ‘अबकी बार 400 पार’ चुनावी स्लोगन के साथ मैदान में रही और यह स्लोगन लोगों की जुबां पर छा गया।
इन तीनों चुनावों में जो स्लोगन भाजपा की तरफ से दिए गए उसके जरिए पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार अभियान के तहत एक एजेंडा सेट किया और विपक्ष इससे बाहर आने के लिए छटपटाता नजर आया। कांग्रेस पार्टी के तमाम नारे इन स्लोगन के बीच कहीं गुम से हो गए और इसे जनता आत्मसात नहीं कर पाई।