Monday, March 31, 2025

ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तल्खी पुरानी है, 2019 में हुई थी शुरुआत, आखिर वजह क्या?

न्यूयॉर्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में जो हुआ, उसे दुनिया ने देखा। नोंक-झोंक के बाद से शांति समझौता खटाई में पड़ गया है। वैसे, जिसे सबने ओवल ऑफिस में शुक्रवार देर रात देखा, उसकी पटकथा नई नहीं है। दोनों के बीच तल्खी 2019 से ही कायम है। वो साल जब ट्रंप को अपने पहले महाभियोग का सामना करना पड़ा था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई। इस दौरान ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई। वेंस ने जेलेंस्की पर अमेरिका का अपमान करने का आरोप लगाया। तो ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को कई बार टोका और फटकार लगाई। ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरे विश्व युद्ध की गैंबलिंग का आरोप भी लगाया। इसके बाद नाराज जेलेंस्की तेज कदमों से बाहर निकलते दिखे। ये तो हुई हाल की बात, दोनों के रिश्ते जुलाई 2019 में ही बिगड़ गए थे। दरअसल, ट्रंप ने एक फोन कॉल किया था जेलेंस्की को। ट्रंप ने जेलेंस्की से पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन, (जो 2020 के चुनाव में उनके खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी के सबसे दमदार उम्मीदवार थे) और उनके बेटे हंटर के खिलाफ संभावित भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए कहा था। वहीं, उन्होंने कॉल से पहले के दिनों में यूक्रेन को दी जाने वाली लगभग 400 मिलियन डॉलर की सहायता रोक दी थी।

हालांकि बाद में उन्होंने इसे जारी भी कर दिया था। ट्रंप के आरोप हंटर बाइडेन पर केंद्रित थे। उनके मुताबिक चूंकि हंटर को ऊर्जा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था फिर भी यूक्रेनी गैस कंपनी बरिस्मा के निदेशक बना दिए गए। उस समय जो बाइडेन उप-राष्ट्रपति के तौर पर यूक्रेन से डील कर रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाइडेन ने बरिस्मा की जांच कर रहे एक अभियोजक को निकाल दिया था। एक व्हिसलब्लोअर के दावों के बाद, डेमोक्रेट्स ने ट्रंप पर अमेरिकी चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप को प्रेरित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया और इसे पद के दुरुपयोग का मामला बताया। ट्रंप एक कठोर महाभियोग परीक्षण से गुजरे, जिसके परिणामस्वरूप उनके खिलाफ अभियोग लगाया गया, लेकिन बाद में सीनेट परीक्षण में उन्हें अंततः बरी कर दिया गया। इसके बाद 2020 में ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव हार गए। जेलेंस्की मुश्किल में पड़ गए, वे किसी भी पक्ष के विवाद में फंसने से बचने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

ट्रंप इस बात से नाराज थे कि उन्होंने उन आरोपों का दृढ़ता से खंडन नहीं किया कि उन पर दबाव डाला गया था या कोई लेन-देन हुआ था। बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद, जेलेंस्की ने उनके साथ घनिष्ठ संबंध बनाए और अमेरिकी नेता ने यूक्रेन को सहायता और मजबूत अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक समर्थन दिया। बाइडेन ने रूस को बाहर कर दिया और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया, जिससे उस पर आर्थिक प्रतिबंध लग गए। रिपब्लिकन ने जेलेंस्की पर पिछले साल के चुनाव के दौरान बाइडेन के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया। पेंसिल्वेनिया के बेहद विवादित स्विंग राज्य में (बाइडेन के गृहनगर स्क्रैंटन) एक गोला-बारूद कारखाने का अत्यधिक प्रचारित दौरा चर्चा में रहा। ट्रंप और जेलेंस्की के बीच अविश्वास और गहरा गया।

यूक्रेन को सहायता और रूस के विरोध पर दोनों दलों की सहमति थी, लेकिन ट्रंप ने अमेरिका के समर्थन के बावजूद कीव की क्षमता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया, जिससे राजनीतिक क्षेत्र में दरार पैदा हो गई और रिपब्लिकन उनके पीछे पड़ गए या खामोशी इख्तियार कर ली। यह तब और भी बदतर हो गया जब ट्रंप ने युद्ध का समाधान खोजने के लिए सीधे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संपर्क किया। इस बीच, पिछले महीने उनका गुस्सा तब खुलकर सामने आया जब जेलेंस्की ने ट्रंप पर “गलत सूचनाओं की दुनिया में रहने” का आरोप लगाया। ये ट्रंप के जेलेंस्की द्वारा रूस संग युद्ध शुरू करने की टिप्पणी और ‘तानाशाह’ (जेलेंस्की को) कहने के बाद दिया गया बयान था। बदले हुए परिदृश्य के संकेत के रूप में, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के साथ मिलकर यूक्रेन द्वारा मास्को के आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

यूक्रेन को छोड़कर युद्ध को समाप्त करने का तरीका खोजने के लिए पिछले सप्ताह रियाद में अमेरिका और रूस के वरिष्ठ राजनयिकों की बैठक हुई। जब ऐसा लगा कि रूस और अमेरिका युद्ध को समाप्त करने और यूक्रेन के भविष्य को लेकर कोई समझौता करने जा रहे हैं, तो जेलेंस्की ने इसका विरोध किया और कहा कि उनका देश कभी भी ऐसे समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जिसका वह हिस्सा नहीं है। इससे ट्रंप भड़क गए, जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर जैसे यूरोपीय नेताओं ने एक पुल के रूप में काम करने की कोशिश की, लेकिन वो ज्यादा सफल नहीं हो पाए। उनके और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टकराव के केंद्र में विश्वास है। जेलेंस्की को पुतिन पर भरोसा नहीं है। उन्हें डर है कि वे किसी भी शांति समझौते से पीछे हट जाएंगे। अपने कई पश्चिमी सहयोगियों के बीच पुतिन के प्रति अविश्वास के बावजूद, ट्रंप ने कहा कि उन्हें उन पर भरोसा है।

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