नयी दिल्ली- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दाखिल मामलों की सुनवायी करने वाली विशेष अदालत ने कानपुर के एक विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक की हत्या के सिलसिले में दो व्यक्तियों को दोषी पाया है।
यह मामला 24 अक्टूबर 2016 का है जबकि सेवानिवृत्त प्रधानाधापक की कानपुर में एक गांव के पास घेर कर हत्या कर दी गयी थी। उस समय वह साइकिल से घर लौट रहे थे।
एनआईए की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन दोनों ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की आतंकवादी योजनाओं को फैलाने की साजिशों को आगे बढ़ाते हुए यह हत्या की थी।
एनआईए की यहां जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि लखनऊ स्थित एनआईए अदालत ने अभियुक्त आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल खान को दंड विधान की धारा 302, 34 और 120 ख , गैरकानूनी गतिविधि (निवारक) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16(1)क और 18 तथा सस्त्र अधिनियम की धारा 3, 25 और 27 के अंतर्गत दोषी पाया है।
न्यायालय इन्हें इनके अपराधों के लिए11 सितंबर को सजा सुनाएगा। दोनों कानपुर नगर के निवासी हैं।
दोनों अपराधियों ने स्वामी आत्मप्रकाश ब्रहम्मचारी जूनियर हाईस्कूल, कानपुर के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक राम बाबू शुक्ला की 24 अक्टूबर 2016 को हत्या कर दी। श्री शुक्ल साइकिल से घर लौट रहे थे। जांच एजेंसी के अनुसार दोनों ने उन पर कानपुर में पियोंडी गांव के पास हमला किया था।
आतंकवादी वारदात की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी एनआईए की ओर से जांच के बाद इस मामले में 12 जुलाई 2018 को आरोप-पत्र दायर किया गया था। एजेंसी ने जांच में पाया कि दोनों को आईएसआईएस की सोच का जहर भरा गया था और वे काफिरों की हत्या करना चाहते थे।
इनके साथ इनका एक और साथी आतंकवदी मोहम्मद सैफुला भी था जो उत्तर प्रदेश आतंकरोधी कार्यबल (एटीएस) के साथ एक मुठभेड़ में सात मार्च 2017 को मारा गया। एनआईए ने कहा कि अभियुक्त आईएसआईएस की विचारधारा में प्रशिक्षित किए गए थे और वे भारत में जिहाद के लिए आतंक फैलाना चाहते थे।यह मामला सर्व प्रथम 24 अक्टूबर 2016 को कानपुर में चकेरी थाना में प्रकरण संख्या 884/2016 के रूप में दर्ज किया गया था।