मुंबई, । महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की शातिर चाल से उनके चाचा शरद पवार फिलहाल घायल हो गए हैं। अजीत पवार ने जून महीने के आखिरी सप्ताह में ही 40 विधायकों और सांसदों के हस्ताक्षर लेकर खुद को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने का प्रस्ताव पास करवा लिया है। इसका खुलासा बुधवार को हुआ है। अब गेंद पूरी तरह चुनाव आयोग के पाले में है।
एनसीपी के दोनों गुटों ने बुधवार को शक्ति प्रदर्शन करने के बाद अपने-अपने समर्थकों का प्रतिज्ञापत्र इकठ्ठा करना शुरू कर दिया है। बुधवार को यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में शरद पवार ने बुलाई गई बैठक में सभी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को प्रतिज्ञापत्र के साथ आने को कहा था, जबकि बांद्रा एमईटी कालेज में अजीत पवार के समर्थक प्रतिज्ञापत्र का काम कर रहे थे। एमईटी कालेज में भाषण देते हुए मंत्री छगन भुजबल ने यह भी कहा कि हम भी कानून जानते हैं, हमने पूरी तैयारी के बाद यह फैसला लिया है।
अजीत पवार गुट ने बैठक के बाद खुलासा किया कि जून महीने के आखिरी सप्ताह में ही 40 विधायकों और सांसदों के हस्ताक्षर लेकर खुद को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने का प्रस्ताव पास करवा लिया गया था। अजीत पवार ने इसकी जानकारी भी 30 जून को चुनाव आयोग के पास भेज दी है। इस तरह सारी तैयारी करने के बाद ही अजीत पवार ने 2 जुलाई को खुद उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपने 8 समर्थक विधायकों को मंत्री पद की शपथविधि पूरी करवाई थी।
शपथविधि के बाद राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने राकांपा के 9 विधायकों को निलंबित करने की याचिका दाखिल की है। अब गेंद पूरी तरह चुनाव आयोग के पाले में है और चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों का प्रतिज्ञापत्र सौंपने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे ने भी शिवसेना पार्टी और चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग में याचिका दाखिल की थी। इसी तर्ज पर अजीत पवार ने पार्टी पर अपना कब्जा जमाने और चुनाव चिन्ह पाने की तैयारी पहले से ही कर रखी थी। अब चुनाव आयोग इस पर क्या निर्णय देता है, यह भविष्य के गर्भ में ही है।