मुंबई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान “बंटेंगे तो कटेंगे” महाराष्ट्र में भी चर्चा का विषय बन गया है, खासकर विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र। योगी के इस बयान का विरोध करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने कहा कि इस तरह के बयान महाराष्ट्र में नहीं चलते। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र शिवाजी, आंबेडकर, शाहू जी महाराज की धरती है, और यहां की राजनीति में यह बयानबाजी नहीं टिकती।” अजित पवार ने “सबका साथ, सबका विकास” का समर्थन करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में सभी समुदायों को एकजुट रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
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अजित पवार ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल रहते हुए भी इस बयान के खिलाफ अपनी असहमति जताई। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में जाति और समुदायों के आधार पर विभाजन की राजनीति नहीं होनी चाहिए। पवार का मानना है कि इस तरह के बयान केवल महाराष्ट्र के बाहर काम कर सकते हैं और राज्य की जनता की भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं।
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वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरूपम ने योगी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि “बंटेंगे तो कटेंगे” का मतलब है कि अगर लोग एकजुट रहेंगे तो मजबूत रहेंगे और बिखरने पर कमजोर हो जाएंगे। उन्होंने अजित पवार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें इस बात को समझने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन योगी आदित्यनाथ का बयान गलत नहीं है।
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इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार जाति जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दों पर विपक्षी पार्टियों पर निशाना साध रहे हैं। महाराष्ट्र में आगामी 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें जाति जनगणना और आरक्षण के मुद्दे भी चुनावी एजेंडे में प्रमुखता से शामिल हैं। कांग्रेस ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर आरक्षण को 50% के पार ले जाया जाएगा, जिससे जातिगत समीकरणों को लेकर राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है।