लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को उन कोर्सेज में स्किल्ड बनाएगी, जिनके माध्यम से युवा सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में जाकर भी नौकरी कर सकें। इसके लिए वर्ल्ड स्किल सेंटर प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा इससे संबंधित एक प्रस्तुतिकरण हाल ही में मुख्य सचिव के समक्ष दिया गया है। जल्द ही इस प्रस्तुतिकरण को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिनकी मंजूरी मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के प्रयास शुरू होंगे।
वर्ल्ड स्किल सेंटर के प्रस्तावित प्रोजेक्ट का उद्देश्य इंटरनेशनल एक्सपर्टीज के साथ कोलाबरेशन के माध्यम से प्रदेश में एक ऐसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करना है, जहां प्रदेश के युवाओं की ट्रेनिंग स्किल्स को एक नए लेवल पर ले जाया जा सके। इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से युवाओं को उन कोर्सेज में ट्रेन्ड किया जाएगा जिनकी ग्लोबल लेवल पर काफी डिमांड है। यहां ऐसे मैनपावर को तैयार किया जाएगा जो ग्लोबल स्टैंडर्डस की स्किल से लैस हो।
प्रदेश सरकार का मानना है कि बड़ी संख्या में प्रदेश के पढ़े-लिखे युवा विदेशों में नौकरी के लिए जाते हैं। इनमें सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, पेट्रोकेमिकल इंजीनियर से लेकर डॉक्टर तक होते हैं। हालांकि, स्किल के मामले में भारतीय युवा ग्लोबल स्टैंडर्डस पर खरे नहीं उतरते। इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में युवाओं को ऐसी स्किल में ही तैयार किया जाएगा जो ग्लोबल डिमांड की भरपाई कर सकें। इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को ही वल्र्ड स्किल सेंटर के रूप में जाना जाएगा।
वर्ल्ड स्किल सेंटर की प्रस्तावित परियोजना में इंटरनेशनल पार्टनर के रूप में टीयूवी एसयूडी जर्मनी और ईएचएल स्विट्जरलैंड को जोड़ने का प्रस्ताव है। एसयूडी जहां टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनी है तो वहीं ईएचएल स्विट्जरलैंड हॉस्पिटैलिटी और होटल मैनेजमेंट से जुड़ी कंपनी है। इनके माध्यम से युवाओं को हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म, रिटेल सर्विसेज, लॉजिस्टिक के साथ ही अकाउंट, बैंकिंग व फाइनेंस जैसे कोर्सेज में स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें प्रवेश के लिए अंग्रेजी विषय के साथ 12वीं पास और माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस की जानकारी होना अनिवार्य होगा। साथ ही उन अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार किया जाएगा जिनकी उम्र 17 से 23 वर्ष होगी। ट्रेन्ड युवाओं में 70 प्रतिशत को प्लेसमेंट मुहैया कराया जाएगा, जबकि 10 से 15 प्रतिशत को ग्लोबल प्लेसमेंट दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रस्ताव के अनुसार ईएचएल और टीयूवी-एसयूडी द्वारा इंडियन और इंटरनेशनल इंडस्ट्रीज की जरूरत के अनुसार कोर्स करिकुलम को तैयार किया जाएगा। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़े कोर्स की अवधि डेढ़ वर्ष और अन्य सेक्टर्स से संबंधित कोर्सेज की अवधि एक वर्ष होगी, जिसमें इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। हॉस्पिटैलिटी कोर्स की फीस 3 लाख और अन्य कोर्स की फीस 1.5 हो सकती है। ये ऐसे कोर्स होंगे जो उनके लिए काफी लाभप्रद साबित हो सकते हैं जिन्होंने 12वीं के बाद कॉलेज छोड़ दिया है। इन सभी प्रस्तावों पर मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ही कार्ययोजना तैयार की जाएगी।