Wednesday, November 6, 2024

जल की कीमत को हमको समझना होगा : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यहां लोकभवन में भूजल सप्ताह के समापन समारोह में बोलते हुए कहा कि जल है तो जीवन है। भारतीय मनीषा इस बात को हमेशा मानते हैं। जल को हम जीवन के पर्याय को मानते हैं। यह सृष्टि के लिए आवश्यक है। जल की कीमत को हमको समझना होगा। उसे बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम से लेकर अन्य कदम उठाने होंगे।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भूगर्भीय जल के गिरते हुए स्तर और नदियों, तालाबों को गंदगी के ढेर में बदलने का कार्य किया गया। आज कहीं भी देखिये जो नदी पहाड़ से निकलती है, अगर उसके किनारे कोई नगर या औद्योगिक शहर नहीं है तो उसका जल नवम्बर दिसम्बर में अविरल होता है। साफ स्वच्छ होता है। किसी नदी के किनारे कोई शहर या बस्ती या औद्योगिक शहर होता है तो उसका जल मार्च अप्रैल में ही काला होता है।

उन्होंने कहा कि जल की कीमत को हमको समझना होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग इसी क्रम का हिस्सा है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हर नगर हर जनपद में एक अमृत सरोवर बने, यह इसी क्रम का हिस्सा है।

जीव जन्तु सृष्टि को जिंदा रखना है तो हमको सोचना ही पड़ेगा। प्रकृति की मार जब पड़ती है त्राहि होती है। पश्चिमी क्षेत्र में देखिये बाढ़ और पानी है। पूर्वी क्षेत्र में पानी का नामोनिशान नहीं है। हमको इसलिए एक सार्थक प्रयास करना होगा। भूजल सप्ताह इसी दिशा में कार्य करने के लिए है। हमारे तालाब इस दिशा मे कार्य कर सकते हैं। इससे रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नियम बनाया था कि जल प्रदूषण पर जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही किसी नए सरकारी भवन के निर्माण में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था भी जरूरी है।

व्यापक जनजागरूकता और जन भागीदारी से कार्य आसान हो सकता है। विंध्य, बुंदेलखंड में एक समय लोग 05, 07 किलोमीटर दूर से सिर पर पानी लाद कर लाते थे। गंदे तालाबों से पानी की व्यबस्था करनी पड़ती थी। आज हर घर नल हर घर जल योजना से बुंदेलखंड विंध्य क्षेत्र में स्वच्छ साफ पेयजल का सपना साकार हो रहा है।

आज उत्तर प्रदेश में विकास खंड क्रिटिकल स्टेज की ओर जा रहे हैं। जल संरक्षण की आवश्यकता है, कल वृक्षारोपण का वृहद अभियान होगा और इसके साथ ही स्वतंत्रता दिवस के दिन 05 करोड़ पौध फिर से लगाए जाएंगे। हमको जल संरक्षण की ओर सोचना होगा। बरसात में छत का पानी बर्बाद न जाए। भुगर्भ जल स्तर को बनाये रखना होगा।

कैच द रेन कार्यक्रम इसी कार्यक्रम का हिस्सा है। हमको जल संरक्षण की तैयारी शुरू करनी होगी। अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। पुराने तालाबों, पुराने कुओं को भी फिर से संरक्षित करना होगा। बरगद पीपल जैसे वृक्ष लगाने होंगे। जनांदोलन बनाना होगा। तभी हम और हमारा कार्यक्रम सफल होगा।

इस कार्यक्रम में सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, राज्य मंत्री दिनेश खटीक, जल संरक्षण क्षेत्र में कार्य करने वाले महानुभाव, प्रगतिशील किसान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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