Friday, November 22, 2024

सामूहिक भलाई को कमजोर करने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने से हम पीछे नहीं हटेंगे : राजनाथ

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्‍व व्यवस्था के इस युग में सामूहिक रूप से शांति की आकांक्षा करने का आह्वान किया, जहां देश साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।

राजनाथ सिंह ने शांति और साझा अच्छाई की वकालत की। उन्होंने यह भी कहा कि “हम ऐसे किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे जो हमारी सामूहिक भलाई को कमजोर करता है, जिसमें समुद्री डकैती और तस्करी शामिल है।”

उन्होंने विशाखापत्तनम में बहु-राष्ट्र अभ्यास मिलन के 12वें संस्करण के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

‘शांति’ की अवधारणा पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि युद्धों और संघर्षों का न होना शांति का सबसे अपरिवर्तनीय न्यूनतम तत्व है।

उन्होंने “नकारात्मक शांति” का जिक्र करते हुए कहा, अक्सर प्रभुत्व या आधिपत्य से उत्पन्न होती है, जहां एक शक्ति अपनी इच्छा दूसरों पर थोपती है। उन्होंने कहा कि निष्पक्षता और न्याय द्वारा समर्थित नहीं होने वाली ऐसी शांति को भौतिक विज्ञानी और अर्थशास्त्री “अस्थिर संतुलन” कहते हैं।

राजनाथ सिंह ने जिसे वे “ठंडी शांति” कहते हैं, उसके बारे में विस्तार से बताया, जहां पार्टियां खुले में एक-दूसरे को नहीं मारती हैं, बल्कि एक-दूसरे को कमजोर करने की पूरी कोशिश करती हैं।

उन्होंने ठंडी शांति को सीधे संघर्षों के बीच का अंतराल मात्र बताया।

रक्षा मंत्री का विचार था कि सकारात्मक शांति की अवधारणा प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष न होने से परे है और इसमें सुरक्षा, न्याय और सहयोग की व्यापक धारणाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा : “सकारात्मक शांति सभी के सहयोग से, सभी की साझा शांति है। कोई भारतीय शांति या ऑस्ट्रेलियाई शांति या जापानी शांति नहीं है, बल्कि यह साझा वैश्विक शांति है। यह भावना भी स्पष्ट रूप से स्थापित की गई थी। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि यह बातचीत और कूटनीति का युग है।”

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बल दोहरी भूमिका निभाते हैं – युद्ध का संचालन करने के साथ-साथ वे शांति और अच्छी व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।

उन्होंने कहा, “ऐतिहासिक रूप से नौसेनाओं और सेनाओं की स्थापना और रखरखाव सैन्य विजय के माध्यम से राजनीतिक शक्ति का विस्तार करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था। हमारा ऐतिहासिक अनुभव हमें बताता है कि सशस्त्र बल भी शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे निरोध जैसी अवधारणाओं और प्रथाओं में देखा जाता है, संघर्ष की रोकथाम, शांति स्थापना और विशेष रूप से आपदाओं के दौरान विभिन्न मानवीय सहायता प्रयासों में भी।“

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बलों की प्रकृति के इस विकास में लोकतांत्रिक विश्‍व व्यवस्था के ढांचे के भीतर मित्र देशों के बीच मित्रता, समझ, सहयोग और सैन्य अंतर-संचालन को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभरे हैं।

उन्होंने मिलन 2024 को महासागरों और पहाड़ों के पार बेहद जरूरी भाईचारा बंधन बनाने का एक प्रयास करार दिया।

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