Monday, November 18, 2024

दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करते हुए राजनाथ सिंह ने चीन पाक को दिया ये मैसेज

 

नई दिल्ली। विजयादशमी के अवसर पर पूरे देश में उत्साह के साथ त्यौहार मनाया जा रहा है, और शस्त्र पूजा की प्राचीन परंपरा भी निभाई जा रही है। यह परंपरा रामायण और महाभारत काल से चली आ रही है, जब योद्धा अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते थे। आज भी भारतीय सेना इस परंपरा को मानती है, जो देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर दार्जिलिंग के सुकना कैंट में शस्त्र पूजा की और सेना के जवानों के साथ विजयादशमी का उत्सव मनाया। अपने संबोधन में उन्होंने देश की सुरक्षा और हितों के प्रति दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि अगर भारत के हितों पर बात आती है, तो किसी भी बड़े कदम को उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। उनका यह बयान देश की सुरक्षा और सैन्य शक्ति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी के अवसर पर अपने संबोधन में भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “मैं आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां शास्त्रों और शस्त्रों दोनों की पूजा की जाती है।” उन्होंने इस परंपरा के पीछे के गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए कहा कि भले ही शस्त्र लोहे और लकड़ी से बने होते हैं, लेकिन उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारी संस्कृति का प्रतीक है।

 

राजनाथ सिंह ने बताया कि हम किसी भी वस्तु, विशेष रूप से जो हमारी रक्षा और कल्याण के लिए होती है, उसके उपयोग से पहले और बाद में आभार प्रकट करते हैं। यह परंपरा न केवल वस्त्र और शस्त्रों के प्रति सम्मान दिखाती है, बल्कि हमारे जीवन में हर वस्तु और संसाधन के प्रति कृतज्ञता का भाव रखने की भी शिक्षा देती है।

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी के अवसर पर अपने संदेश में भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और सैन्य दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां शास्त्रों और शस्त्रों दोनों की पूजा की जाती है।” उन्होंने इस परंपरा के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि लोहे और लकड़ी से बनी वस्तुओं की पूजा करने के पीछे आभार व्यक्त करने और सम्मान की भावना निहित है। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जिसमें हर वस्तु का आदर किया जाता है।

 

अपने संबोधन में उन्होंने भारत के शांतिपूर्ण और नैतिक दृष्टिकोण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमने कभी किसी देश के साथ युद्ध की पहल नहीं की है। हमने केवल तब युद्ध किया है जब मानव मूल्यों पर आक्रमण हुआ है। अगर हमारे हितों पर आंच आती है, तो हम कोई भी बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने पड़ोसी देशों की संभावित हरकतों का जिक्र करते हुए कहा, “पड़ोसियों की किसी भी हरकत को नजरअं

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