Monday, November 4, 2024

अनमोल वचन

भक्ति और भौतिकता दोनों समानान्तर हैं। दोनों का एक-दूसरे के साथ ठहरना असम्भव है, किन्तु हम दोनों के साथ जीने की कामना रखते हैं। प्रभु उपासना और भौतिक उपासना के अन्तर को समझना आवश्यक है। भौतिकता की दौड में सम्मिलित होकर धन जोडकर भक्ति का दिखावा करने का कोई लाभ नहीं।

ऐसा करने से मन में कामनाएं और बढ जायेंगी, भक्ति पीछे छूट जायेगी। जिनका चित्त कामनाओं से फंसा हुआ है, उन्हें अन्तरात्मा के दर्शन कैसे हो सकते हैं अर्थात आत्म साक्षात्कार कैसे हो सकता है। भक्त और ज्ञानी वे हैं, जिन्होंने सत्य का साक्षात्कार कर लिया है।

चिंतन किसी का कुछ भी हो इस सत्य को सब जानते हैं कि भौतिकता वास्तविक सत्य से कोसो दूर है। उसकी निस्सारिता से सभी परिचित है, जिसने इस सत्य को जान लिया है, जिसके आन्तरिक चक्षु सत्य के प्रति खुल गये हैं वह प्रभु से धन नहीं मांगता, ऐश्वर्य की चाह नहीं करता।

वह केवल याचना करता है कि हे प्रभो उसकी अन्तरात्मा को अपने सौंदर्य से भर दो। बाहर और भीतर के अन्तर को समाप्त कर दो। मन और वाणी का भेद मिटा दो और जो इस अंतर को मिटा दे वह प्रज्ञा मुझे प्रदान कर दो।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय