बहुत आसान है जमीन पर एक बड़ा सा महल बना लेना पर जिंदगी गुजर जाती है दूसरों के दिलों में एक छोटा सा घरौंदा बनाने में। जिंदगी बेहतर होती है, जब हम खुश होते हैं, पर तब और भी बेहतर हो जाती है, जब हम दूसरों में खुशी बांटते हैं और हमारे कारण वे खुश होते है।
जितनी भीड़ बढ़ रही है, जमाने में लोग उतने ही अकेले होते जा रहे हैं विशेष रूप से हमारी सुनहरी पीढ़ी हमारे बुजुर्ग। सच यह है कि हमारे बुजुर्ग हमारी सम्पदा है। अपने जीवन के इस पड़ाव पर पहुंचकर जब वे स्वजनों से अलग-अलग महसूस करने लगते हैं अथवा अपना जीवन साथी खो देते हैं, तब हमें उन्हें यह अहसास दिलाना चाहिए कि वे भगवान का वह वरदान है, जिनसे संसार की यह सुन्दरता है और उनकी हमें हमारे जीवन में लम्बे समय तक आवश्यकता है।
उनके साये में ही हम पूर्णत: फल-फूल सकते हैं, परन्तु अपनी इस पीढ़ी को सम्भालने के लिए धन से भी परे एक बेहद ही अच्छे मन की आवश्यकता है, जो इन टूटे हुए दिलों के सपनों को संजो सके। इनके दिलों के सोये हुए संगीत का झंकृत कर सके और जिस अनुभूति, प्यार, सहानुभूति एवं अपने पन की इन्हें तलाश है, उसकी प्राप्ति करा सके। इनके डांवाडोल हुए तन और मन को स्थिरता का आभास करा सके, इनकी व्याकुलता और परेशानी को दूर भगा सके।