प्रात: उठकर सबसे पहले प्रभु का स्मरण करें। प्रभु से प्रार्थना करे कि सभी प्राणियों का मंगल हो, सब सुखी हो, सब निरोग हो, सब प्रसन्नता का अनुभव करें। अपने लिए भी कि प्रभु मेरा दिन अच्छा व्यतीत हो, मेरे द्वारा किसी को कष्ट न पहुंचे, किसी का बुरा न हो, भूले से भी कोई पाप कर्म मेरे द्वारा न हो।
शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान करे। अपनी आस्था के अनुसार संध्योपसना, पूजा-अर्चना करे। मल मूत्र श्वांस तथा अन्य क्रियाओं द्वारा जितना प्रदूषण हम फैलाते हैं उसका शुद्धिकरण करने के लिए हवन, यज्ञ, करें। पश्चात अपने माता-पिता और घर के वरिष्ठजनों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें।
उनके स्वास्थ्य और उनकी आवश्यकताओं की जानकारी लें। घर में अतिथि हो तो कुछ क्षण उनके साथ व्यतीत करें, उन्हें अच्छा लगेगा। भोजन को प्रभु के प्रसाद रूप में ग्रहण करें। भोजन ग्रहण करने से पहले प्रभु का धन्यवाद करें कि हे प्रभु मैं आपका दिव्य प्रसाद ग्रहण कर रहा हूं।
प्रार्थना करें कि प्रभु मुझे इस योग्य बनाये रखना कि मैं अपनी ही कमाई खाऊं। पाप की कमाई घर में न लाऊं। उसमें निर्दोषों का खून न हो किसी की हकतल्फी करके धन न कमाया हो अर्थात मेरी कमाई पवित्र हो, जिससे मैं पवित्र अन्न को दिव्य प्रसाद के रूप में ग्रहण करता रहूं। ऐसी कमाई के अन्न से ही मेरी सन्तान शिष्ट सभ्य तथा अनुशासित हो, चरित्रवान हो, जो अपने, मेरे और मेरे वंश के गौरव को बढाये।