संसार में प्यासा कौन? जो ज्यादा पानी पीये वही प्यासा है। ज्यादा दरिद्र कौन? जो अधिक से भी अधिक धन बटोरने में लगा है, वही सबसे ज्यादा दरिद्र है, क्योंकि धन की भूख उसे सबसे अधिक है और वह भूख भी ऐसी जो कभी शांत नहीं होती। धन मिलता रहेगा भूख बढ़ती रहेगी। अधिक धन मिलते रहने से भी भूखा ही रहेगा अर्थात दरिद्रता छायी रहेगी। मानव सोचता है, भौतिक सुख साधन, कीर्ति और धन आदि प्राप्त कर वह सुखी हो जायेगा। यह उसकी भूल है। जिस प्रकार घी से अग्रि की ज्वाला की अभिवृद्धि होती है, उसका शमन नहीं होता, उसी प्रकार अधिक भौतिक सांसारिक सुख -साधन मानव की आन्तरिक शक्तियों को अधिक क्षीण कर देते हैं वह मन की शान्ति में बाधक तथा जीवन में दुख भरने वाले हैं। उनसे सुख की कल्पना करना अज्ञानता है। अधिक से अधिक धन कमाकर धन की भूख को शांत करने का प्रयास न करे, अधिक सोकर नींद को जीतने का प्रयास न करे, अधिक कामोपभोग के द्वारा स्त्री को जीतने की इच्छा न करे, लकड़ी डालकर आग को जीतने की आशा न रखे और अधिक मदिरा पीकर मदिरा पीने के व्यसन को जीतने का प्रयास न करे।