आज डा. भीमराव अम्बेडकर जयंती है। डा. अम्बेडकर भारत के ऐसे मनीषी, शिक्षाविद, कानूनविद और आधुनिक भारत के संविधान के निर्माता हुए, जिन्होंने भारतीय समाज को न केवल दासता की बेडिय़ों को तोड़ डालने को प्रेरित किया वरन पूरे भारतीय समाज को उनके नागरिक अधिकारों के प्रति सचेत किया।
डा. अम्बेडकर को विशिष्ट स्थान इसलिए दिया जाना चाहिए कि स्वामी दयानन्द के पश्चात हिन्दू समाज के भीतर मौजूद जातिगत ताने-बाने के कारण शूद्र कहे जाने वाले नागरिकों में जागरण का मंत्र फूंका और उन्हें मानवीय अधिकारों के प्रति सचेत किया।
उन्होंने हिन्दू धर्म में लोगों के बीच फैली जाति व्यवस्था का धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अध्ययन करते हुए सकल समाज के साथ समग्र विकास के साथ जोड़ा। उन्होंने पूरे समाज को जब आईना दिखाया और शूद्र कहे जाने वाले समाज के महत्वपूर्ण अंग के मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया और इसके लिए हर प्रकार के ऐशो आराम की बडौदा नरेश की नौकरी छोड़कर हाथों में कलम पकडऩे से लेकर सड़कों पर प्रदर्शन आदि तक किये तो गुलाम भारत में अंग्रेजों की सत्ता और भी ज्यादा डगमगाने लगी। व्यवहारिक मानसिक एवं चिंतक की दृष्टि से सच्चे दार्शनिक, भारत के संविधान के निर्माता डा. भीमवार अम्बेडकर को उनकी जन्म जयंती पर श्रद्धा सहित शत-शत नमन।