Monday, April 28, 2025

अनमोल वचन

किसी व्यक्ति के पास धन हो जाये तो स्वाभाविक रूप से उसमें धनी होने का अहंकार आ जाता है। वह यह नहीं समझता कि यह धन सम्पदा कभी स्थायी नहीं। उसका स्वाभाव चंचल है। वह आज तक स्थायी रूप से किसी के पास नहीं रही। वह आज मेरे पास है, कल यही दूसरे के पास चली जायेगी।

वह यह विचार नहीं करता कि यह धन सम्पदा अनेकों के पास होते हुए मेरे पास आई हैं। इनके न जाने कितने स्वामी बदल चुके हैं। यह धन जब जिसके पास था, वह भी सोचता था कि यह धन मेरा है, मैं इस धन का स्वामी हूं। किसी ने किसी बहाने से यह धन उसको ठुकरा कर मेरे पास आया है। आज तक इसके असंख्यक स्वामी हो चुके हैं। आज हम कह रहे हैं कि यह धन हमारा है, किन्तु यह हमारे पास भी नहीं रहेगा।

किसी न किसी दिन यह हमें भी किसी निमित्त से त्यागकर अवश्य चला जायेगा अथवा इसे छोड़कर हम चले जायेंगे। इसलिए यह अहंकार न करो कि यह धन मेरा है। इससे पहले भी कितना धन हमारे पास से किसी न किसी के निमित्त जा चुका है। जब वह नहीं रहा तो यह भी नहीं रहेगा। इसलिए प्रत्येक धन सम्पत्ति को परमात्मा की ही माने। स्वयं को उसका मात्र रखवाला अथवा ट्रस्टी ही समझे तभी उसके स्वामी कहलाने के अहंकार से बच पाओगे।

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