यदि कोई मुझसे पूछे कि मेरे जीवन का कौन सा समय सबसे अधिक सक्रिय रहा तो मैं कहूंगा कि 60 वर्ष की आयु पार करने के पश्चात। मेरे इस कथन पर आश्चर्य बिल्कुल न करें। बहुत से लोग साठ पार करने पर सेवा निवृत्ति पाकर जीवन की समाप्ति मान लेते हैं, पर मैं यह मानता हूं कि आदमी को अपने जीवन के अन्तिम क्षण तक व्यस्त रहना चाहिए। हम जितने वृद्ध होते जाते हैं अपने समाज के लिए, अपने परिवार के लिए उतने ही उपयोगी होते जाते हैं। अपेक्षा मात्र इतनी है कि हम अपने को उपयोगी बनाये रखे और मैदान छोडकर भाग न जाये। हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एक बात कभी न भूलनी चाहिए वह चीज है अपना लक्ष्य। लाख कार्य सामने आने पर भी हमारे सामने अपना लक्ष्य स्पष्ट रहना चाहिए। लक्ष्य ही जीवन धारा है और अन्य कार्य हवा के झंझावत से उठने वाली लहरें हैं, नदी में कभी उल्टी लहरें भी उठती दिखाई देती हैं पर नदी का जल एक दिशा की ओर बढ़ता है और बढ़ता ही ही चला जाता है। इसी प्रकार लक्ष्य तय करके आप दृढ निश्चय से आगे बढेंगे तो आगे ही बढ़ते जायेंगे और लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता भी पा लेंगे।