जब घर से मंदिर के लिए, सत्संग जाने के लिए घर से निकले तो भगवान का जाप करते जाईये। मन-मन में उच्चारण करें, कोई मार्ग में मिले तो प्रणाम करें, हाथ जोड़कर नमन करें, परन्तु सांसारिक बाते न करें। कम से कम बोले, सिर झुकाते आगे बढ़ते रहें, परमात्मा का स्मरण करते रहें। जब आप लौटे, उस समय उस सुगन्ध को जो आप मंदिर अथवा सत्संग से लेकर आये हैं उस शान्ति पूजन की पवित्रता को मन में लेकर आ रहे हैं उसे उसी रूप में लेकर घर पहुंचे। रास्ते में ऐसी बाते किसी से न करें, जिससे आपके मन से परमपिता परमात्मा का ध्यान हटे। यदि आपने यह अभ्यास निरन्तर किया तो आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे कि ये छोटी-छोटी प्रक्रियाएं आपके जीवन में चमत्कार घटायेंगी। यह मात्र कहने अथवा लिखने की बात नहीं है। इसके सत्य को परखने के लिए स्वयं यह प्रयोग करे, आपका ध्यान प्रभु से जुड़ जायेगा, जो प्रभु भक्त भगवान का चिन्तन करता है, उसकी चिंता भगवान स्वयं करते हैं। उसके बिगड़े काम बनेंगे, पुरूषार्थ करने की शक्ति आयेगी। जिसकी बुद्धि भगवान से जुड गई, उसकी बुद्धि सुबुद्धि हो जाती है और सुबुद्धि वाले व्यक्ति को उन्नति के नये-नये मार्ग अपने आप सूझने लगते हैं।