परिवार हो, समाज हो अथवा राष्ट्र हो, जहां नैतिकता के सिद्धांतों और आदर्शों की बात होगी, साथ ही जीवन में उनका अनुसरण किया जायेगा वहां प्रभु की कृपा से सुख शान्ति और समृद्धि अवश्य होगी। नैतिकता का अर्थ बहुत ही विस्तृत है। ईमानदारी, कर्त्तव्य निष्ठा, सत्या चरण, नम्रता, सरलता, प्रेम और सहनशीलता सभी नैतिकता के अन्तर्गत आते हैं।
परमात्मा भी मानव से यही अपेक्षा करता है कि मानव मानव के साथ मानवता का व्यवहार करें, भूलकर भी मानवता की उपेक्षा न करें। मानव हृदय प्रेम के लिए है, कटुता और घृणा के लिए नहीं। मानव सांसारिकता और नैतिकता के वशीभूत होकर अपनों से ही राग-द्वेष और ईष्र्या का कारण बना लेता है।
यदि वह इन सबसे ऊपर उठकर केवल मूल्यों के प्रति समर्पित होकर लोक व्यवहार करे तो सभी का भला होगा। एक-दूसरे के सहयोग से सभी की उन्नति होगी, राष्ट्र उन्नति के शिखरों पर पहुंचेगा, चहुंओर सुख-शान्ति और समृद्धि का साम्राज्य होगा।