आज नवरात्र की अष्टमी है। अधिकांश व्रती आज और शेष कल नवमी में कन्याओं के लिए विशेष पूजन का आयोजन करते हैं। कन्याओं के चरण प्रक्षालन कर तिलक कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराते, चुनरी ओढाते हैं तथा अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भेंट देते हैं। उनका पूरा सत्कार किया जाता है और किया भी जाना चाहिए। अधिकांश लोग कन्याओं के प्रति स्नेह, सम्मान और आदर की भावना रखते हैं। ऐसे भक्तों पर मां दुर्गा सदैव कृपाएं भी बरसाती हैं, परन्तु समाज में ऐसे लोग भी हैं, जो कन्याओं को भार समझते हैं। दुख तब होता है, जब इसी समाज में कन्या भ्रूण हत्या तथा दहेज जैसी कुरीति के कारण या तो कुछ कन्याएं संसार में आने से पहले ही समाप्त कर दी जाती हैं और कुछ दहेज की बलि चढ़ जाती हैं अथवा उनका जीवन नारकीय बन जाता है। सबसे शर्मनाक तो यह है कि छोटी-छोटी बच्चियां बलात्कार की शिकार हो रही हैं। हमारा पूजन व्यर्थ हो जायेगा यदि हम अपने आसपास ऐसी घटनाओं को देखकर मौन रहे। सच्चा कन्या पूजन यह है कि चाहे मां का रूप हो, सास का रूप हो, बेटी, बहन, दानी अथवा नानी का रूप हो, सही रूप में उन्हें सम्मान दिया जाये, तभी देवी मां का आशीर्वाद मिल पायेगा।