मुज़फ़्फरनगर— भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) और क्रांतिसेना ने मोदी सरकार पर कड़ा हमला बोला है। इन संगठनों ने सरकार के फैसले को “राष्ट्रभक्त जनता के साथ धोखा” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
क्रांतिसेना अध्यक्ष और शिवसेना के वेस्ट यूपी प्रमुख ललित मोहन शर्मा, जो इस समय पैर फ्रैक्चर के कारण बेडरेस्ट पर हैं, ने अपने आवास पर प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में उन्होंने कहा कि पहलगाम में हिंदुओं की सामूहिक हत्या के बाद देश की जनता सरकार से पाकिस्तान को सबक सिखाने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन युद्ध से पहले ही संघर्षविराम की घोषणा से लोग स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
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ललित मोहन शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने बयान “एक के बदले 10 सिर” को याद करते हुए कहा कि यह केवल एक जुमला बनकर रह गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अब तो ऐसा लग रहा है कि मोदी जी के पास जुमलों के अलावा कुछ है ही नहीं।” शर्मा ने चेताया कि इस युद्धविराम के दूरगामी परिणाम होंगे।
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बैठक में महासचिव पंडित संजीव शंकर ने हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए युवाओं को हिंदुत्व और जनहित के मुद्दों पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए। वहीं मंडल प्रमुख शरद कपूर ने उन लोगों पर निशाना साधा जो खुद को हिंदू हितैषी बताते हैं लेकिन असल में जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे नेताओं से सावधान रहने की अपील की।
इस मौके पर जिला प्रमुख: आनंदप्रकाश गोयल,प्रबुद्ध प्रकोष्ठ मंडल अध्यक्ष: आलोक अग्रवाल,महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष: पूनम चौधरी, महानगर प्रमुख: देवेंद्र चौहान,जिला उपप्रमुख: मंगतराम सोनकर, नरेंद्र ठाकुर, अमित गुप्ता, संजीव वर्मा, ओमकार पंडित, शैलेन्द्र विश्कर्मा, हेमंत शर्मा, योगेंद्र बिहारी, राजेंद्र तायल, अमित शर्मा बॉबी, रोहन धीमान, रोहित धीमान आदि शामिल रहे।
यह विवाद ऐसे समय में उठा है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाने का दावा करते हुए कहा कि भारत शांति का पक्षधर है लेकिन यदि कोई देश उसे कमजोरी समझेगा, तो करारा जवाब दिया जाएगा। फिर भी, युद्धविराम की घोषणा ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है।