Tuesday, April 8, 2025

अनमोल वचन

मृत्यु सामने देखता है तो व्यक्ति सोचता है कि अपने पापों का प्रायश्चित कर लूं, जिनसे बैर-विरोध् है उसे समाप्त कर दूं, परमात्मा का पावन स्मरण कर लूं, अधिक से अधिक दान पुण्य कर लंू। मृत्यु को सन्मुख देखते ही धर्म में आस्था बढ़ जाती है। पाप और वासना से लिप्त मन का शैतान शान्त हो जाता है। काश ऐसी सोच सदा बनी रहे तो मनुष्य पाप से बचा रहे। हे भोले प्राणी स्वीकारे कि मृत्यु परम श्रद्धेय है वह दुनिया की सबसे बड़ी मूक शिक्षक है, परन्तु हम उससे कुछ सीखना ही नहीं चाहते। जैसे हम अपने श्रद्धेयों द्वारा दी गई शिक्षाओं की उपेक्षा कर देते हैं उसी प्रकार हम मृत्यु से प्राप्त हो सकने वाले ज्ञान की उपेक्षा कर देते हैं। मृत्यु को भूले रखना पसन्द करते हैं, उसका स्मरण भी नहीं करना चाहते। हम यह भूल जाते हैं कि मृत्यु हर पल हमारे साथ ही होती है। यही हमसे चूक हो जाती है। इस कारण जीवन में अनेक पाप करते जाते हैं। याद रहे मृत्यु का स्मरण निराशा के लिए नहीं हमें सचेत करने के लिए है। इस संसार में जो प्राणी आया है उसे जाना तो अवश्य होता है फिर वह चाहे गरीब हो या अमीर, छोटा हो या बडा प्रत्येक प्राणी की मृत्यु अवश्य आनी होती है, जो मनुष्य यह चाहता है कि वह मृत्यु को हंसते-हंसते गले लगाये वह पाप कर्मों से दूर रहे और अपना अधिक समय सेवा और परोपकार में व्यतीत करें।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,432FansLike
5,533FollowersFollow
149,628SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय