जो जैसा बोते हैं उन्हें वैसा ही काटने का अवसर भी प्राप्त होता है। आम का वृक्ष लगाने वालों को कभी बबूल प्राप्त नहीं होता। आम लगाने वालों को तो स्वादिष्ट अमृत फल ही प्राप्त होता है, परन्तु बबूल बोने वालों को तो मार्ग में कदम-कदम पर कांटों का ही सामना करना पड़ता है।
जीवन में सुख, दुख, लाभ-हानि, मान-अपमान का परिणाम मनुष्य को बोने और काटने के सिद्धांत की कसौटी पर आधारित है। बोना-काटना क्रिया की प्रतिक्रिया में वैज्ञानिक तथ्य को सिद्ध करती है, जो अच्छा बोयेगे, अच्छी फसल काटेंगे और जो बुरा बोयेंगे वे बुरी ही फसल काटेंगे। बोने और काटने का सिद्धांत एक हाथ से लेने और देने की तरह ही है।
प्यार देने वाले प्यार पाते हैं और घृणा-द्वेष करने वाले घृणा-द्वेष ही पाते हैं। स्वर्ग, नरक, सुख, दुख, अच्छा-बुरा बोने और काटने के वैज्ञानिक तथ्य को सिद्ध करता है।
अच्छे-बुरे का फल निश्चित रूप से निज जीवन में ही मिलता है। इसलिए जीवन को परमात्मा का उपहार मानकर उन्हीं के जीवों की सेवा में समर्पित करना जीवन जीने का अभिप्राय है और उसे सार्थक करने के लिए पर सेवा और शुभ कार्यों से मुंह न मोड़े।