Tuesday, November 5, 2024

योग से स्मरण शक्ति का विकास होता है: डा. एम.के. तनेजा

मुजफ्फरनगर। किसी भी प्राणी या शिशु के उत्पत्ति के समय उसके मस्तिष्क का भार और न्यूरान तंत्रिका कोशिका समान मात्रा में होते हैं तथा उनकी कार्यक्षमता, स्मरण क्षमता भी एक समान होती है। सामान्यतया हम मस्तिष्क की छः प्रतिशत मात्रा ही प्रयोग करते हैं, जो अधिक उपयोग कर पाते हैं, वो बुद्धिमान कहलाते हैं। अग्र मस्तिष्क केंद्रीय गोलार्द्ध दो भाग में होता है।

बायां विश्लेषणात्मक, तार्किक तथा दायां सहज ज्ञान युक्त अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसके द्वारा ही दीर्घकालीन स्मृति को बढ़ाया जा सकता है। योग को सामान्यतः जिस प्रकार किया जाता है, उसके द्वारा केवल शरीर का तनाव कम होता है, पर अगर उसको सांस की क्रिया के साथ शिथिलीकरण के निर्देश के साथ करने पर ही लाभ होता है। एल्फा ब्रेन वेव में जाने के लिए तन-मन का शांत होना आवश्यक है। इसके लिए त्राटक दीर्घकालीन पेट द्वारा स्वास और सम्भावी दृष्टि आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। अल्फा ब्रेन वेव के लिए आंतों के माइक्राबायटा का अच्छा सुचारू होना आवश्यक है, जिसके द्वारा सत्तर प्रतिशत सैक्रोटोनीन की पूर्ति होती है।

इससे मूड मनोदशा में वृद्धि तथा स्मरण शक्ति वर्धन होता है। स्मरण शक्ति वृद्धि के लिए दीर्घकालीन हस्तपाद आसन, ताड आसन, उन्मुक्त मुद्रा बैठक वाला आसन है, जो विपरीत कान को पकड़कर किया जाता है। प्राणायाम को ओउम के मकार के साथ दीर्घकालीन रेचक तथा वाह्य कुम्भक, आज्ञा चक्र पर ध्यान करते हुए शून्य मुद्रा में करने से लाभ होता है। संक्षिप्त में दीर्घकाल तक उपरोक्त आसन को निर्देश तथा श्वास की क्रिया के द्वारा साथ ही साथ भ्रामरी प्राणायाम के माध्यम से स्मरण शक्ति का विकास निश्चित रूप से किया जा सकता है।

उपरोक्त व्याख्यान आज एसडी पब्लिक स्कूल में डा. महेंद्र कुमार तनेजा, जो ईएनटी सर्जन के साथ योग में एम ए तथा भ्रामरी प्राणायाम में भी है, द्वारा किया गया है।

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