सूर्योदय के साथ ही हम सब संवतसर 2028 में प्रवेश कर गये हैं। हम लगभग सभी नये संवतसर की प्राथमिकताओं के आधार पर नये-नये संकल्प लेते हैं। सभी को अपने जीवन में महती अपेक्षाएं होती हैं। यह स्वाभाविक भी है और उन्हें पूरा करने के लिए हम अपने-अपने ढंग से प्रयास भी करते हैं। सफल वही होते हैं जो इन प्रयासों में गम्भीरता का प्रदर्शन करते हैं और सफलता प्राप्ति की उनमें दृढ इच्छा शक्ति होती है। प्रगति और उत्थान हेतु संकल्प पूरे करने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयास करने की आवश्यकता है। हमारे संकलप व्यक्ति परक न होकर अपने समाज की वैचारिक आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक प्रगति की राह प्रशस्त करने वाले होने चाहिए। निरन्तर प्रगति ही जीवन का ध्येय होना चाहिए। हम संकल्प कर ऐसे कार्य करे, जिनसे समाज का हर वर्ग आनन्द और सुख का अनुभव करे। यह तभी होगा, जब हमारे कर्म परोपकारी होंगे। मनोनुकूल परिणाम की कामनाएं और अपेक्षाएं सभी की होती हैं। इसलिए प्रत्येक कार्य मनोयोग से ही किया जाये, अन्यथा हमारे अधूरे प्रयास सफलता नहीं दिला पायेंगे और हमारी खुशी कम हो जायेगी। नये संवतसर का यही संदेश है।