शामली। उत्तर प्रदेश के शामली जनपद में मिट्टी खनन माफिया के हौसले बुलंद हैं। एनजीटी के नियमों और खनन मानकों को दरकिनार कर अवैध तरीके से मिट्टी खनन किया जा रहा है। बिना किसी अनुमति के भारी मशीनों द्वारा दिन-रात गहराई तक मिट्टी निकाली जा रही है और डंपरों में भरकर मनमाने दामों पर नवनिर्मित कॉलोनियों में बेची जा रही है। इससे जहां एक ओर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।
यह पूरा मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुड़ाना गांव के जंगलों का है, जहां जनपद के कुख्यात मिट्टी खनन माफिया अमजद द्वारा बिना अनुमति के कई दर्जन बीघा भूमि पर 9 से 10 फीट गहराई तक अवैध खनन किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उड़ीसा नंबर के डंपरों में भरकर यह मिट्टी शामली बाईपास के समीप बन रही एक बड़ी कॉलोनी में पहुंचाई जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खनन लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से माफिया बेखौफ होकर अपना अवैध कारोबार चला रहे हैं।
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एनजीटी के दिशा-निर्देशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे इस अवैध खनन से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि आसपास के किसानों की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि भारी वाहन खेतों के कच्चे रास्तों से गुजरते हैं, जिससे धूल का गुबार उठता है और रास्ते धंसने लगे हैं। बरसात के मौसम में कीचड़ की वजह से दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है।
सूत्रों के अनुसार, अमजद ने विभिन्न स्थानों पर बन रही कॉलोनियों में मिट्टी भराव के ठेके करोड़ों रुपए में ले रखे हैं। मानकों को ताक पर रखकर यह मिट्टी खनन कर भारी मुनाफा कमाया जा रहा है। इस पूरे अवैध कारोबार से जहां खनन विभाग की भूमिका संदिग्ध लगती है, वहीं राजस्व विभाग को भी करोड़ों का चूना लग रहा है।
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और खनन माफिया की दबंगई ने कानून व्यवस्था और शासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि शासन इस पूरे मामले में क्या संज्ञान लेता है और दोषियों के खिलाफ कब तक कार्रवाई होती है।