लखनऊ- उत्तर प्रदेश में सीबीआई की एक विशेष अदालत में वर्ष 2013 में तत्कालीन डीएसपी जिया उल हक की हत्या के मामले में 10 लोगों को दोषी ठहराया है जिनकी सजा का ऐलान 9 अक्टूबर को किया जाएगा।
विशेष न्यायाधीश, सीबीआई ने पुलिस अधिकारी जिया उल हक़ की हत्या के मामले में फूल चंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन, छोटे लाल यादव,राम असरे,मुन्ना लाल पटेल, शिव राम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 323, 353, 332, 302 एवं शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत पर दंगा करने, लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से रोकने, उन पर हमला करने एवं उनकी हत्या करने के अपराध में दोषी ठहराया।
सीबीआई ने तत्कालीन सीओ कुंडा जिया उल हक की हत्या से संबंधित हथिगवां पुलिस स्टेशन, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की प्राथमिकी संख्या 19/2013 के मामले की जांच अपने हाथ में ली। यह आरोप था कि दो मार्च 2013 को तत्कालीन सीओ कुंडा जिया उल हक अपनी पुलिस पार्टी के साथ नन्हे यादव प्रधान की हत्या से उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए बलीपुर स्थित नन्हे यादव प्रधान के घर गए थे।
मृतक नन्हे यादव प्रधान के परिवार के सदस्यों एवं उनके समर्थकों ने पुलिस पार्टी पर लाठी, डंडा व अन्य घातक हथियारों से हमला किया, दौड़ाया तथा हमला किया। भीड़ ने सीओ कुंडा को पकड़ लिया, उनके साथ मारपीट की एवं उनकी हत्या कर दी, जबकि अन्य पुलिसकर्मी भाग गए।
जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई ने सात जून 2013 को फूलचंद यादव, पवन कुमार यादव, योगेन्द्र यादव उर्फ बब्लू, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आश्रय, मुन्ना पटेल, शिव राम पासी, जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल एवं सुधीर यादव, के विरूद्ध सीबीआई मामलों के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दायर किया।
आरोपियों में से एक योगेन्द्र यादव उर्फ़ बब्लू की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई, इसलिए उसके विरुद्ध आरोप समाप्त कर दिए गए। अन्य 10 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है जबकि एक आरोपी सुधीर यादव को बरी कर दिया गया है।
अदालत ने मामले में सजा सुनाने के लिए दिनांक नौ अक्टूबर की तारीख तय की है।