उदयपुर। उदयपुर में एक निजी स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र ने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवारजनों का आरोप है कि उसे स्कूल व हॉस्टल के 7-8 छात्र टॉर्चर करते थे और रैगिंग लेते थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
घटना मंगलवार रात 9 बजे धानमंडी थाना क्षेत्र के तेलीवाड़ा की है। धानमंडी थानाधिकारी सुबोध जांगिड़ के अनुसार तेलीवाड़ा निवासी चंदा राठौड़ ने भूपाल नोबल्स स्कूल में बेटे को कुछ छात्रों द्वारा टॉर्चर करने और रैगिंग लिए जाने का आरोप लगाया है। पुलिस स्कूल प्रबंधन से पूछताछ करेगी।
चंदा राठौड़ ने रिपोर्ट में बताया कि उसके पुत्र हर्षवर्धन सिंह राठौड़ (17) ने मंगलवार रात 9 बजे घर में फंदा लगाकर उस समय आत्महत्या कर ली जब वह कहीं काम से गई थी और उसका छोटा बेटा ट्यूशन गया था। जब वह घर पहुंची तो हर्षवर्धन कमरे में फंदे पर लटका हुआ था। उसे तुरंत उतार कर एमबी हॉस्पिटल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बुधवार शाम चार बजे एमबी हॉस्पिटल में शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। इस दौरान परिजनों और क्षेत्रवासियों ने आक्रोश जताया। उन्होंने आरोपित छात्रों और लापरवाह स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बताया गया है कि मंगलवार दोपहर उसके स्कूल से फोन आया कि हर्षवर्धन एक महीने से स्कूल नहीं आ रहा है, तब मां ने कहा था कि वह घर से रोज स्कूल जाता है। टीचर ने कहा कि वह स्कूल नहीं आता। इस पर मां ने हर्षवर्धन से पूछा तो उसने सहमते हुए बताया कि स्कूल और हॉस्टल के 7-8 छात्र उसे टॉर्चर करते हैं, उसके साथ मारपीट करते हैं। इस संबंध में उसने क्लास टीचर को शिकायत भी की थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। वह बेटे के साथ दूसरे दिन स्कूल जाती, लेकिन उससे पहले ही बेटे ने यह कदम उठा लिया। मां ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि बेटा उन छात्रों के डर के कारण स्कूल नहीं जा रहा है।
चंदा राठौड़ अपने पति से 10 साल से अलग रहती हैं। होमगार्ड की नौकरी करके अपने दो बेटों को पाल रही है। छोटा बेटा भी भूपाल नोबल्स स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ता है। माना जा रहा है कि बड़े बेटे ने इसलिए भी यह बात घर पर नहीं बताई होगी कि कहीं परेशान करने वाले छात्र उसके छोटे भाई को भी टॉर्चर न करने लग जाएं।
इधर, स्कूल प्रिंसिपल वीरेंद्र सिंह चुंडावत का बयान सामने आया है कि स्कूल में रैगिंग जैसा मामला कभी नहीं हो सकता। सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अगर स्कूल में उसे कोई परेशान करता होता तो उन्हें पता लग जाता। एक माह से वह स्कूल नहीं आ रहा था तो हमने उसकी मां को फोन करवाया। हर्षवर्धन की यूनिफॉर्म, बुक्स और अन्य सामग्री उन्होंने फ्री करवाई थी।