हरिद्वार। देवोत्थान सेवा समिति दिल्ली एवं पुण्यदाई अभियान सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में पितृपक्ष की 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा 4128 लावारिस मृतात्माओं को मुक्ति दिलाने के साथ संपन्न हो गई।
देवोत्थान सेवा समिति (रजिस्टर्ड) के तत्वावधान में पिछले 22 वर्षों से देश-विदेश के श्मशान घाटों से लावारिस अस्थियों को एकत्र कर पितृपक्ष में कनखल के सतीघाट पर विधि-विधान के साथ मां गंगा की गोद में विसर्जित कराया जा रहा है। संस्था की ओर से अब तक 1,65,289 अस्थि कलशों को गंगा में विसर्जित कर लावारिस आत्माओं को मुक्ति दिलाई जा चुकी है। इसी कड़ी में शनिवार को सतीघाट पर 4128 लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया गया। श्रंद्धाजलि सभा को संबोधित करते हुए देवोत्थान सेवा समिति (रजि) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नरेंद्र ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी में संस्कार का अभाव हो गया है। अनेक लोग केवल दाह संस्कार कर इतिश्री कर लेते हैं। इसके चलते श्मशान घाटों में अस्थियां पड़ी रहती है। उनकी संस्था का संकल्प है कि जब तक श्मशान घाटों में लावारिस अस्थियां मिलती रहेंगी, अस्थि विसर्जन का कार्य जारी रहेगा। पुण्यदाई अभियान सेवा समिति के प्रांत प्रभारी रवींद्र गोयल ने कहा कि इस पुण्य कार्य में सहभागी बन उन्हें गौरव की अनुभूति हो रही है। डॉ. विशाल गर्ग ने कहा कि हरिद्वार में अस्थि कलश विसर्जन यात्रा का स्वागत करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। इसके पूर्व 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा बैंड-बाजों और महादेव के भव्य रथ के साथ निष्काम सेवा ट्रस्ट भूपतवाला हरिद्वार से चलकर सतीघाट कनखल पहुंची। सतीघाट कनखल पर विद्वान पं. जितेन्द्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गंगा की गोद में अस्थियों का विसर्जन कराया। 23वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा में योगेन्द्र सिंह, मान, रामनाथ लूथरा, पंडित प्रदीप शर्मा, अभिषेक शर्मा, सतीश गर्ग, सुमन कुमार गुप्ता, किरणदीप कौर, मनोज कुमार जिंदल, पंकज आगरा, गोपाल वर्मा, विजय कुमार, विकास शर्मा, डीके भार्गव, प्रेम गुलाटी, प्रदीप महाजन आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।