Thursday, March 6, 2025

सहारनपुर में सिंधली नदी होगी पुनर्जीवित, खुदाई कार्य शुरू, शामली में जाती है यह नदी !

सहारनपुर – उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में तहसील नकुड में यमुना की वर्षा आधारित सहायक नदी सिंधली या खोखरी नदी के पुनरुद्धार का कार्य शुरु हुआ है।
जिलाधिकारी मनीष बंसल ने बुधवार को बताया कि जिले में नदियों को जीवित करने के लिये उनके जीर्णोद्धार की दिशा में बेहतर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में तहसील नकुड़ क्षेत्रांतर्गत सिंधली नदी का चिन्हांकन कार्य किया गया। सिंधली

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नदी तहसील नकुड़ ग्राम बिशनपुर से शुरु होकर लगभग 22 गांव से होकर गुजरती है जिसकी लम्बाई लगभग 21 किमी है। ग्राम बसी तहसील नकुड़ से होते हुए जिला शामली की सीमा में चली जाती है। ग्राम बिशनपुर में सिंधली नदी व बूढ़ी नदी दोनों अलग-अलग नदियां है। बूढ़ी नदी चिलकाना क्षेत्र से शुरु होते हुए सरसावा से होते हुए फतेहपुर जट्ट से यमुना नदी में मिल जाती है जबकि सिंधली नदी एक बड़ी अर्ध चंद्राकार झील के रूप में बिशनपुर से निकलती है। दोनों नदियां भिन्न है। दोनों एक-दूसरे से कहीं नहीं मिलती है। इस बात का ठोस साक्ष्य अभिलेख में उपलब्ध है।

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श्री बंसल ने बताया कि सिंधली नदी ग्राम बसी से होते हुए जनपद शामली के ग्राम चौसाना की सीमा तक जाती है। आंशिक रूप से कुछ ग्रामों बिशनपुर, सनौली, हुसैनपुर, लखनौती, अह0 जदीद, शकरपुर साकरौर मु0, शकरपुर साकरौर अह0, जानपुर उर्फ माजरी व खालिदपुर के खसरा नम्बरानो में नदी खाला के रूप में अंकित नहीं है। जिससे नदी के खसरा नम्बरों का मिलान आपस में नहीं होने के कारण नदी विलुप्त है। राजस्व अभिलेखो के अनुसार उक्त नदी के 1359 फसली के खसरा नम्बरों से वर्तमान में बने नये खसरा नम्बरो का विवरण दर्ज है। जिसमें वर्तमान खसरा नम्बरों में खाला, नदी, बंजर, चकमार्ग, गोहर व सं० भूमिधर आदि के रूप में दर्ज पाई गयी है।

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इसके अतिरिक्त ग्रामों सराजपुर सैय्यद एवं हलवाना मु० के राजस्व अभिलेखों में नदी दर्ज नहीं पाई गई। राजस्व रिकार्ड के अनुसार नदी की लम्बाई, चौडाई के सम्बन्ध में राजस्व टीम द्वारा पैमाईश की गई है। इस सम्बन्ध में सिंचाई एवं राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से स्थलीय निरीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि स्थल पर सिधंली नदी तहसील नकुड के ग्राम बिशनपुर से होकर तक जनपद शामली की सीमा में प्रवेश कर जाती है। तहसील नकुड़ के राजस्व अभिलेखों में सिंघली नदी दर्ज नहीं है। जबकि सम्बन्धित गाटा नम्बरों में नदी व खाला के नाम से अभिलेखों में दर्ज है। मौके पर किसी

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ग्राम में स्थाई अतिक्रमण नहीं पाया गया। जिस स्थल पर पूर्व में सिधंली नदी थी उसके सम्बन्ध में ग्रामवासियों से पूछताछ करने के उपरान्त संज्ञान में आया कि आसपास के कृषकों द्वारा कृषि के रूप में अस्थाई कब्जा किया गया है। जो हटवा दिया गया है तथा शेष कब्जे को हटवाने का प्रयास किया जा रहा है।

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डीएम मनीष बंसल ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम जल संरक्षण के लिए ऐसी परियोजनाएं शुरू करें। शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवों में भी भूजल स्तर बहुत तेजी से नीचे जा रहा है। इसलिए लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है जिससे बीमारियां फैल रही हैं। लेकिन नदियों के पुनरूद्धार से हम ऐसी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। सिंचाई के दृष्टिकोण से हमें अपनी पुरानी नदियों को पुनर्जीवित करना होगा। उन्होंने कहा कि इससे जनपद को मिलेगा स्वच्छ पेयजल मिलेगा।

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इसी के साथ कृषकों की आर्थिक उन्नति होगी एवं उनका उद्धार होगा। जनपद की अन्य तहसीलों में भी इस कार्य को प्रमुखता से किया जाए। भूमि के जल स्तर में वृद्धि होगी। पशुओं-पक्षियों को जल उपलब्ध होगा। वर्षा ऋतु में जल का अधिक संचयन होगा तथा बाढ की संभावना कम होगी। भूमि की उर्वरता बढेगी। नदी के दोनों और किनारों पर वृक्षारोपण किया जाएगा जिससे प्रदूषण कम होगा। पर्यटन की भी संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

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