नोएडा। नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को करीब 14 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं। यही नहीं गैंग के सदस्यों ने नोएडा के अलावा देश के विभिन्न प्रांतों में फर्जी दस्तावेज के आधार पर हजारों कंपनियां खोली डाली है। गिरफ्तार आरोपियों ने देश के विभिन्न प्रांतों में फर्जी कंपनियां खोलकर जीएसटी क्लेम करके सरकार को अब तक अरबों का चूना लगाया है।
थाना सेक्टर-20 में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान पुलिस आयुक्त श्रीमती लक्ष्मी सिंह ने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक समाचार चैनल के संपादक सौरभ द्विवेदी ने थाना सेक्टर-20 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पैन कार्ड का प्रयोग करके कुछ लोगों ने फर्जी कंपनी खोलने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया कि सुमित यादव नामक व्यक्ति ने भी थाने में इस तरह की घटना होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच थाना सेक्टर-20 पुलिस और नोएडा की साइबर सेल कर रही थी। पुलिस आयुक्त ने बताया कि आज सुबह को एक सूचना के आधार पर पुलिस ने अश्वनी पांडे, यासीन सेख, दीपक मुजलानी, विनीता, विशाल सिंह, आकाश सिंह, अतुल सेंगर, राजीव सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इनके पास से पुलिस ने लैपटॉप, मोबाइल फोन, करीब 13 लाख रुपए नकद, मोबाइल के सिम कार्ड, फर्जी दस्तावेज आदि बरामद किया है।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि ये लोग इंटरनेट के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का डाटा सर्च करते हैं। इन्होंने करीब 10 लाख लोगों का डाटा अपने लैपटॉप में सुरक्षित रखा है। उनमें से यह लोग कॉमन नाम सर्च करते हैं। उसके बाद उस नाम का एक व्यक्ति जो कि गरीब होता है, उसको ढूंढते हैं, जो कि कम पढ़ा लिखा हो। उक्त व्यक्ति के पैन कार्ड का फोन नंबर बदलवा कर उसमें अपना फोन नंबर डलवा देते हैं। ताकि फर्म रजिस्ट्रेशन के समय जब ओटीपी आए तो इनके मोबाइल फोन पर ओटीपी आ जाए। ये लोग विद्युत विभाग के साइड से जाकर बिजली का बिल अपलोड करके, उस व्यक्ति के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं। पुलिस आयुक्त ने बताया कि यासीन शेख फैक्ट्री रजिस्ट्रेशन करवाने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मास्टरमाइंड है। कंपनी रजिस्टर्ड करवाने के बाद वह दीपक मुजलानी को डेढ़ से 2 लाख रूपए में बेच देता है। दीपक मुजलानी उस कंपनी को अन्य लोगों को 8 से 10 लाख रुपए में बेचता है।
उन्होंने बताया कि ये लोग फर्जी बिल जनरेट करके लाखों रुपए की खरीदारी दिखाते हैं, तथा जीएसटी का इनपुट लाभ उठा लेते हैं। पूछताछ के दौरान पुलिस को यह भी पता चला है कि यह लोग फर्जी बिल तैयार कर टैक्स चोरी करने वाले गैंग के लोगों को भी रुपए देते हैं। पुलिस आयुक्त ने बताया कि 2,650 कंपनियां इन लोगों ने अब तक फर्जी तरीके से बनाकर बेचनी स्वीकार की है, जबकि 800 कंपनियां इन्होंने बना ली है, लेकिन उन्हें बेच नहीं पाए हैं। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने औसतन एक कंपनी से 5 से 10 करोड की टैक्स चोरी की है।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार 15 हजार करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी आरोपियों ने किया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में जीएसटी विभाग और अन्य विभाग के लोगों की क्या मिलीभगत है इसकी भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि देश के अन्य एजेंसियों को भी इस खुलासे की सूचना दी जा रही है। पुलिस आयुक्त ने बताया कि आरोपी भारत के विभिन्न प्रांतों में जीएसटी का लाभ उठाने का अपराध कर रहे थे।