मुजफ्फरनगर। जनपद में शिक्षा विभाग के द्वारा तकरीबन 13 मदरसों को नोटिस दिया गया था। इस नोटिस के विवादों में पड़ने के बाद अब गुरुवार को जनपद के शिक्षा विभाग द्वारा इसे वापस ले लिया गया है। जिसके लिए मुजफ्फरनगर जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा एक लेटर भी जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को यह आदेशित किया गया था कि उनके क्षेत्र में पड़ने वाले अमान्य विद्यालयों को तत्काल बंद कराया जाए।
खंड शिक्षा अधिकारी पुरकाजी द्वारा कुछ मदरसों को भी नोटिस जारी कर दिए गए थे जो कि उनके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं है। जबकि मदरसों के संदर्भ में निर्णय लेने का अधिकार जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का है। पुरकाजी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा दिए गए मदरसों को नोटिस के बाद अब जनपद के शिक्षा विभाग द्वारा उनसे इस मामले को लेकर स्पष्टीकरण भी मंगाया गया है।
दरअसल कुछ दिन पूर्व पुरकाजी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा तकरीबन 13 मदरसों को नोटिस दिया गया था। जिसमें आदेशित किया गया था कि अगर आपके विद्यालय/ मदरसे की मान्यता है तो आप इससे संबंधित अभिलेख संबंधित कार्यालय में 3 दिन के अंदर उपलब्ध कराए अन्यथा आपके मदरसे को गैर मान्यता प्राप्त मानते हुए> उसके विरुद्ध आर.टी.ई एक्ट के प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी और ऐसे में अगर आपका मदरसा खुला हुआ पाया जाता है तो शासन द्वारा 10 हज़ार रूपये प्रतिदिन का जुर्माना वसूल किया जाएगा तथा आपके विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए सीनियर अधिकारी को सूचना दी जाएगी जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आपका होगा।
अब इस मामले को लेकर जब नोटिस वापस ले लिए गए हैं तो इसकी जानकारी देते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने बताया कि यह खंड शिक्षा अधिकारी पुरकाजी द्वारा अपने क्षेत्र में जो अमान्य विद्यालय संचालित किये जा रहे थे। इस संबंध में उनके द्वारा मदरसों को निर्देश जारी कर दिया गया है एवं उस निर्देश में कहा गया है कि अगर आपके पास कहीं से भी कोई पंजीकरण है तो वह प्रकाशित कर दीजिए, इसमें खंड शिक्षा अधिकारी कोई ध्यान रखना था कि मदरसे नहीं है और स्कूल है तो उनके नोटिस ठीक है।
कहा कि उन मदरसों को खुद से नोटिस ना जारी करके एवं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के संज्ञान मे लाकर उसे नोटिस जारी करना चाहिए, मदरसे को नोटिस देने का शिक्षा विभाग का अधिकार नहीं है। सामान्य विद्यालयों को हम नोटिस दे सकते हैं सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए निकाला गया था की उनको तत्काल बंद कराया जाए। इसमें मदरसे शब्द का जिक्र नहीं किया गया था और अगर वह अमान्य मदरसे है तो उसका जिक्र अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को करना था। खंड शिक्षा अधिकारी पुरकाजी से इसमें स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।